संकटग्रस्त विमानन कंपनी जेट एयरवेज के नए मालिकों ने उन वरिष्ठ अधिकारियों की तलाश शुरू कर दी है जो नेतृत्व की भूमिका निभा सकते हैं। उद्योग सूत्रों ने बताया कि पिछले एक महीने के दौरान जेट के नए मालिकों ने उद्योग के कई दिग्गज हस्तियों से संपर्क किया जिन्हें भारतीय कारोबारी माहौल में विमानन कंपनी के परिचालन पर्याप्त अनुभव प्राप्त है।
विमानन क्षेत्र के जिन वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया गया है उनमें इंडिगो के पूर्व अध्यक्ष एवं सीईओ आदित्य घोष, इंडिगो के वर्तमान अध्यक्ष एवं मुख्य परिचालन अधिकारी वोल्फगैंग प्रॉक शौएर और इंडिगो के मुख्य रणनीति एवं राजस्व अधिकारी संजय कुमार शामिल हैं।
इस योजना से अवगत सूत्रों ने कहा कि जेट एयरवेज के नए मालिक इस विमानन कंपनी में नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों को तलाश रहे हैं जिनके पास परिचालन और सरकारी मामलों की दोनों भूमिकाओं को संभालने का अनुभव हो।
घोष अपने 10 साल के करियर में इंडिगो के सीईओ के रूप में इस विमानन कंपनी के दैनिक परिचालन के साथ-साथ नागर विमानन मंत्रालय से संबंधित मामलों को भी देखते रहे हैं। घोष ने इंडिगो को भारत की सबसे अधिक लाभप्रद विमानन कंपनी बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उसके बाद वह आतिथ्य सेवा स्टार्टअप ओयो में शामिल हो गए। बाद में उन्होंने उस पद से इस्तीफा दे दिया और उन्हें बोर्ड पदोन्नति दी गई। प्रॉक शौएर इंडिगो में जाने से पहले जेट एयरवेज और मुंबई की विमानन कंपनी गोएयर के सीईओ रहे हैं। इंडिगो में बतौर सीओओ अपनी मौजूदा भूमिका में वह विमानन नियामक डीजीसीए और नागर विमानन मंत्रालय से काफी करीब रहे हैं।
कुमार 11 साल तक इंडिगो के सीओओ के रूप में काम कर चुके हैं। इस साल के आरंभ में वह एयरएशिया इंडिया के सीओओ बने थे और उसके बाद इंडिगो में मुख्य रणनीति एवं राजस्व अधिकारी के तौर पर वापस आ गए। एयरएशिया के सीओओ के रूप में कुमार ने उस विमानन कंपनी के लिए सरकारी मामलों को संभाला।
इस बाबत जानकारी के लिए भेजे गए ईमेल का उपरोक्त में से किसी ने भी जवाब नहीं दिया।
दिवालिया विमानन कंपनी की आखिरी उड़ान 17 अप्रैल, 2019 की थी और यह अब देश के दिवालिया कानून के तहत कामयाब समाधान प्रक्रिया के जरिए स्वामित्व में बदलाव देख रही है। पिछले महीने जेट एयरवेज के लेनदारों ने मुरारी लाल जालान और वित्तीय निवेश फर्म कालरॉक कैपिटल के कंसोर्टियम के हक में मतदान किया था, जो कंपनी का अधिग्रहण करेंगे। यह कंपनी दो साल से बंद पड़ी हुई है क्योंकि उसके पास नकदी नहीं है। इस बोली को 99 फीसदी मत प्राप्त हुए और लेनदारों ने परिसमापन के जरिए रिकवरी के बजाय इसके सुधार पर मतदान किया। विजेता की बोली में 1,000 करोड़ रुपये की नकदी शामिल है। बैंकों को जेट एयरवेज की 9.5 फीसदी इक्विटी और लॉयल्टी रिवॉड्र्स कंपनी इंटरमाइल्स (पूर्व में जेट प्रिविलेज) की 7.6 फीसदी इक्विटी भी मिलेगी।
