JBM ऑटो का मानना है कि भारत में उसका इलेक्ट्रिक बस (ई-बस) कारोबार वित्त वर्ष 27 तक उसके कुल कारोबार का 50 प्रतिशत हिस्सा बन जाएगा। यह बात कंपनी के उपाध्यक्ष निशांत आर्या ने बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए एक इंटरव्यू में कही। JBM ऑटो 3 अरब डॉलर की वैश्विक कंपनी है जो 37 से अधिक देशों में मौजूद है। 10,000 से अधिक ई-बसों के ऑर्डर के साथ कंपनी अगले दो सालों में, यानी वित्त वर्ष 27 तक इनकी डिलीवरी करने की उम्मीद करती है। आर्या ने कहा कि कंपनी को वित्त वर्ष 24 में लगभग 6,300 बसों का ऑर्डर मिला था।
फिलहाल, ई-बस कारोबार JBM ऑटो की आय का लगभग 35 प्रतिशत हिस्सा है। भारत के ऑटोमोटिव सेक्टर में अहम भूमिका निभाने वाली यह कंपनी भारत में 30-40 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी रखती है। भारत में वित्त वर्ष 25 में 3,314 ई-बसें बिकीं, जबकि वित्त वर्ष 24 में यह संख्या 3,516 थी। JBM ऑटो और JBM इलेक्ट्रिक प्राइवेट लिमिटेड ने वित्त वर्ष 25 में 379 ई-बसें बेचीं, जबकि वित्त वर्ष 24 में यह संख्या 530 थी और चालू वित्त वर्ष में अब तक 8 बसें बिकी हैं। यह डेटा वाहन पोर्टल से लिया गया है (तेलंगाना और लक्षद्वीप को छोड़कर)।
आर्या ने कहा कि JBM भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) की एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) बैटरी स्टोरेज उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) में हिस्सा लेने की योजना बना रही है। गुड़गांव के पास कंपनी का बावल यूनिट सभी प्रकार के वाहनों के लिए बैटरी बनाता और असेंबल करता है। 18,100 करोड़ रुपये की लागत वाली ACC बैटरी स्टोरेज PLI स्कीम का टारगेट इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और बैटरी स्टोरेज के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना है। इसके तहत देश में बड़े पैमाने पर ACC और बैटरी बनाने वाली फैक्ट्री स्थापित की जाएंगी, जिसमें घरेलू स्तर पर इसे बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
आर्या ने कहा, “दिल्ली एनसीआर इकाई में 20,000 ई-बसें बनाने की क्षमता के साथ, JBM ईवी वेंचर्स आने वाले वर्षों में बैटरी सब्सक्रिप्शन और लीजिंग, बुनियादी ढांचे के विकास और संबंधित सेवाओं के विस्तार के जरिए लचीले और किफायती बैटरी प्रबंधन समाधानों को पेश करके ईवी बैटरी पारिस्थितिकी तंत्र में क्रांति लाने का लक्ष्य रखती है।”
पीएम ई-बस योजना के तहत सब्सिडी के बारे में उन्होंने कहा कि कंपनी को योजना के पहले और दूसरे चरण में अनुबंध मिल चुके हैं और “अब कुछ राज्यों में, खास तौर पर महाराष्ट्र, गुजरात और हरियाणा में इस साल से रोल-आउट शुरू होगा।” अगस्त 2023 में शुरू हुई पीएम-ईबस सेवा योजना का उद्देश्य सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर 10,000 ई-बसों को तैनात करके सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाना है।
पहले और दूसरे चरण के तहत अब तक कुल 6,743 इलेक्ट्रिक बसों की मांग एकत्र की गई है। दूसरे चरण के लिए 4,588 ई-बसों का टेंडर अभी चल रहा है और 1,390 ई-बसों के लिए स्वीकृति पत्र पहले ही जारी हो चुका है।
JBM को अमेरिका के जवाबी टैरिफ का नुकसान होने की संभावना कम है, लेकिन कुल मिलाकर, व्यापार पर बहुत अधिक निर्भर अर्थव्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी। उन्होंने कहा, “भारत एक उच्च खपत वाली अर्थव्यवस्था है और हमारी घरेलू जरूरत बहुत बड़ी है। इसलिए, भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर बहुत कम होगा, भले ही आप ई-बस सेगमेंट को देखें।”
चीन और यूरोपीय देशों जैसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ई-बसों की पहुंच 1,000 लोगों पर लगभग 300 बसें है, जबकि भारत में यह आंकड़ा करीब 30 है। आर्याा ने कहा, “यह अंतर बहुत बड़ा है और हमारे देश में इतनी संभावनाएं हैं कि पहले इस जरूरत को पूरा करना होगा।”
पिछले महीने जारी केयरएज रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ई-बसों की पहुंच अभी कुल बस पंजीकरण का लगभग 4 प्रतिशत है और यह वित्त वर्ष 27 तक लागत में कमी, बेहतर चार्जिंग ढांचे और सहायक नीतियों के कारण 15 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है।
आर्याा ने कहा, “हम यह नहीं कह रहे कि हम बिल्कुल निर्यात नहीं करेंगे। भारत से हम निर्यात की ओर देख रहे हैं, लेकिन अभी जो घरेलू संभावनाएं उपलब्ध हैं, वे हमारी जरूरतों के लिए काफी हैं। हम दोनों पर ध्यान देंगे क्योंकि जाहिर है, हमने मध्य पूर्व में अपने कार्यालय स्थापित कर लिए हैं और उत्पाद विकसित किए हैं, और बसें जल्द ही वहां भेजी जाएंगी।” कंपनी ने वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में अपनी शुद्ध आय में 7.80 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की, जो पिछले साल की समान अवधि में 48.63 करोड़ रुपये से बढ़कर 52.42 करोड़ रुपये हो गई। चौथी तिमाही के आंकड़े अभी जारी नहीं हुए हैं।