भारत के 38 लाख करोड़ रुपये के देसी म्युचुअल फंड (एमएफ) उद्योग का चेहरा माने जाने वाले प्रशांत जैन ने एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) से इस्तीफा दे दिया है। वह देश के इस तीसरे सबसे बड़े फंड हाउस में मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) थे और 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक की परिसंपत्तियों का प्रबंधन कर रहे थे।
एचडीएफसी एएमसी ने आज स्टॉक एक्सचेंज को दी गई सूचना में खुलासा किया, ‘जैन ने 19 साल तक सेवाएं देने के बाद अपना पद छोड़ने का फैसला किया है और उन्होंने इस्तीफा दे दिया है।’
जैन की जगह चिराग सीतलवाड़ और शोभित मेहरोत्रा लेंगे। सीतलवाड़ इक्विटी खंड की अगुआई करेंगे, जबकि मेहरोत्रा फिक्स्ड इनकम खंड का कामकाज संभालेंगे। दोनों कंपनी के निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) नवनीत मुनोत को रिपोर्ट करेंगे। मुनोत मिलिंद बर्वे के सेवानिवृत्त होने के बाद करीब 18 महीने पहले एचडीएफसी एएमसी से जुड़े थे। बर्वे इस फंड हाउस के सबसे लंबे समय तक प्रमुख रहे हैं।
जैन के पद छोड़ने के कयास पिछले दो साल से लगाए जा रहे थे, जिन्हें उन्होंने हमेशा खारिज किया। जैन ने ऐसे समय इस्तीफा दिया है, जब अबरदीन समर्थित एचडीएफसी एएमसी को अपनी बाजार हिस्सेदारी और प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) बढ़ाने के लिए कड़ी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। इसका उसके शेयर के प्रदर्शन पर भी असर पड़ रहा है।
पिछले एक साल के दौरान एचडीएफसी एएमसी का शेयर 34 फीसदी टूटा है, जबकि इस दौरान एनएसई के बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी में 6 फीसदी बढ़त रही है। जून 2022 में समाप्त तिमाही के दौरान एचडीएफसी एएमसी का औसत एयूएम 4.15 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की इस अवधि के मुकाबले 0.2 फीसदी कम है। इस फंड हाउस को नीचे धकेलकर आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ दूसरे पायदान पर आ गया है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ की परिसंपत्तियां समीक्षाधीन अवधि में करीब 12 फीसदी बढ़कर 4.65 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई हैं। इस दौरान उद्योग की औसत एयूएम वृद्धि 13.8 फीसदी रही। जैन आईआईटी कानपुर और आईआईएम बेंगलूरु से पढ़े हुए हैं। उन्होंने अपने निवेशकों को लंबी अवधि के दौरान मोटा प्रतिफल अर्जित करने में मदद की ली है। उनके सबसे बड़े फंड एचडीएफसी बैलेंस्ड एडवांटेज (43,079 करोड़ रुपये की राशि) ने वर्ष 1994 में अपनी स्थापना के बाद से 17.9 फीसदी का सालाना प्रतिफल दिया है।
एचडीएफसी टॉप 100 (19,910 करोड़ रुपये) ने 1996 में अपनी स्थापना से 18.8 फीसदी और एचडीएफसी फ्लेक्सी कैप (26,511 करोड़ रुपये) ने 1995 में अपनी स्थापना से 18.3 फीसदी का सालाना प्रतिफल दिया है। जैन की लंबी अवधि में सतत वृद्धि मुहैया कराने की काबिलियत ने उन्हें निवेशकों के बीच लोकप्रिय बना दिया और एचडीएफसी एएमसी की वृद्धि को तेज करने में मदद दी। हालांकि उनका मूल्य आधारित तरीका पिछले कुछ साल के दौरान उनकी योजनाओं के प्रदर्शन पर भारी पड़ा है क्योंकि बाजार में उच्च वृद्धि वाले शेयरों को प्राथमिकता मिलने लगी है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू), खास तौर पर बैंकों को प्राथमिकता देने से भी उनकी योजनाओं का प्रदर्शन प्रभावित हुआ है, जिसके कारण उन्हें निवेशकों के गुस्से का शिकार होना पड़ा है। पिछले 3 साल और 5 साल की अवधि के दौरान एचडीएफसी बैलेंस्ड एडवांटेज और एचडीएफसी टॉप 100 ने अपने बेंचमार्क से कमजोर प्रदर्शन किया है।