वोडाफोन आइडिया ने आज कहा कि संभावित निवेशकों की दिलचस्पी के बावजूद ताजा रकम जुटाने में उसे काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि कंपनी ने दूरसंचार विभाग को पत्र लिखकर स्पेक्ट्रम बकाये के किस्त के भुगतान में एक साल और मोहलत देने की गुहार लगाई है।
विश्लेषकों के साथ बातचीत के दौरान कंपनी के प्रबंध निदेशक रविंदर टक्कर से जब पूछा गया कि घोषणा के नौ महीने बाद भी रकम जुटाने में देरी क्यों हो रही है तो उन्होंने कहा, ‘हम निवेशकों के साथ चर्चा कर रहे हैं। देश के दूरसंचार क्षेत्र में निवेश को लेकर उनकी दिलचस्पी बरकरार है। मैं समझता हूं कि सबसे बड़ी बाधा यह है कि मूल्य निर्धारण की स्थिति को लेकर पूरा उद्योग तनाव में है।’
टक्कर ने कहा कि मूल्य निर्धारण में सुधार होते ही शुल्क दरों में इजाफा होगा जिससे काफी विश्वास पैदा होगा। उन्होंने कहा कि जैसे ही उद्योग सकारात्मक रिटर्न देना शुरू करेगा तो न केवल नए निवेशकों से बल्कि मौजूदा निवेशकों से भी उल्लेखनीय निवेश प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा। कंपनी पिछले नौ महीने से करीब 25,000 करोड़ रुपये जुटाने की कोशिश कर रही है। हालांकि कुछ दिन पहले दूरसंचार विभाग को एक पत्र लिखकर कंपनी ने बताया था कि उसे नई रकम जुटाने में कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है क्योंकि संभावित निवेशकों को लगता है कि यह उद्योग दबाव में है और वह इससे कभी उबर नहीं पाएगा। इस पहल से एक बार फिर कंपनी के भविष्य को लेकर सवाल पैदा हो गए हैं क्योंकि इस बात की चिंता जताई जाने लगी है कि देश के दूरसंचार उद्योग कहीं दो कंपनियों के एकाधिकार में न परिवर्तित हो जाए।
टक्कर ने यह भी कहा कि सरकार ने इस उद्योग में दबाव से राहत प्रदान करने के लिए स्पेक्ट्रम बकाया किस्त के भुगतान में दो साल की मोहलत पहले ही दी थी जिससे काफी राहत मिली। उन्होंने कहा, ‘लेकिन मूल्य निर्धारण जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दे अब भी बरकरार हैं जो उद्योग के लिए दबाव पैदा कर रहे हैं। मैं समझता हूं कि मौजूदा परिस्थितियों में केवल यही उचित रहेगा कि सरकार स्पेक्ट्रम बकाये के किस्त के भुगतान के लिए मोहलत में विस्तार दे।’
वोडाफोन आइडिया के प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि दूरसंचार नियामक ट्राई एक आधार मूल्य निर्धारित करने की पहल को आगे बढ़ाए तो मूल्य निर्धारण की समस्या का समाधान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अन्य दूरसंचार कंपनियों ने भी ऐसी मांग की है।
भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने भी शुल्क दरों में वृद्धि की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि दूरसंचार कंपनियों के बीच आम सहमति बनने पर ऐसा किया जा सकता है। लेकिन रिलायंस जियो की शुल्क दरें प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले कम हैं। जियो संभवत: सितंबर तक अपने नए 4जी स्मार्टफोन लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। रिलायंस जियो के करीबी सूत्रों ने कहा कि कंपनी सबसे पहले आगे नहीं बढ़ेगी क्योंकि उसकी शुल्क दरें कम हैं। भारती ने दोहराया है कि उसका मूल्य निर्धारण अधिक है और ऐसे में यदि वह सबसे पहले कदम बढ़ाती है तो उसे ग्राहकों का नुकसान होगा।
टक्कर ने भी कहा कि एजीआर बकाये के मुद्दे पर कंपनी ने सर्वोच्च न्यायालय में एक संशोधन याचिका दायर की है जिसमें एजीआर मांग की प्रतिस्पर्धा में अंकगणितीय त्रुटियों को ठीक करने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है। यदि यह अनुमति मिल जाती है तो विश्लेषकों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 के लिए उसके करीब 9,000 करोड़ रुपये के एजीआर बकाया घटकर लगभग आधा रह जाएगा।
