बीएस बातचीत
देश में सेमी-कंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए सरकार इससे जुड़े प्रोत्साहन और पात्रता मानदंड संबंधित अधिसूचना जारी कर रही है। संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सुरजीत दास गुप्ता के साथ बातचीत में इस योजना को साकार करने के लिए अगले बड़े कदम की जानकारी दी। प्रस्तुत है प्रमुख अंश:
आपने सेमी-कंडक्टर फैब परियोजना में नैनो मीटर आकार के चिप बनाने के लिए प्रोत्साहन राशि तय की है। ऐसा करने की क्या वजह है?
हमारा मानना है कि 28 से 45 नैनोमीटर आकार के चिप की सबसे ज्यादा मांग है और इसकी मांग अगले 10 से 15 साल तक बनी रहेगी। लेकिन हम उनसे चिप विनिर्माण के लिए ऐसा खाका बनाने के लिए कहेंगे जिससे 14 नैनोमीटर से भी कम आकार वाले चिप का उत्पादन किया जा सके। हम नहीं चाहते कि वे केवल उच्च नैनोमीटर वाले चिप का विनिर्माण करें।
लेकिन क्या आपके पास 14 नैनो मीटर या इससे कम आकार वाले चिप संयंत्र को सहायता देने के लिए रकम है क्योंकि कुल प्रोत्साहन पैकेज ही 10 अरब डॉलर का है और ऐसे संयंत्र के लिए कम से कम 7 से 8 अरब डॉलर निवेश की जरूरत होती है?
निश्चित रूप से हमारे पास सुविधा है और इसका निर्णय भारतीय सेमी-कंडक्टर मिशन द्वारा किया जाएगा। हमने इरादा किया है और विचार की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है।
क्या आपको लगता है कि ऐसी फैब कंपनियों (क्वालकॉम या मेडिटेक आदि) को प्रोत्साहन देने की जरूरत है, जो टीएसएमसी जैसे वैश्विक कारखानों से ठेके पर विनिर्माण कराती हैं ताकि वे कुछ ठेके भारतीय फैब कारखानों को दे सकें?
नहीं, हम ऐसा नहीं करेंगे। आज हम 75 अरब डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स का विनिर्माण करते हैं, जो भारत में 5 से 6 फैब संयंत्रों की मांग के लिए पर्याप्त हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स का उत्पादन बढ़कर 250 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, रेलवे, रक्षा उद्योग, विद्युत इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में चिप की काफी मांग है। निश्चित रूप से चिप का निर्यात भी किया जाएगा।
प्रोत्साहन को लेकर वैश्विक और भारतीय कंपनियों की प्रतिक्रिया कैसी रही है?
बहुत उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है। 15 ओएसएटी और कंपाउंड सेमी-कंडक्टर कंपनियों के आने की संभावना देख रहे थे, लेकिन अब इससे भी ज्यादा की उम्मीद है। इसके साथ ही हम 50 उत्पाद डिजाइन कंपनियों के भी पात्र होने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन उनकी संख्या भी ज्यादा हो सकती हैं। भारतीय कंपनियां फैब क्षेत्र में तकनीक के लिए वैश्विक कंपनियों के साथ साझेदारी की संभावना भी तलाश रही हैं। सही मायने में हमने वैश्विक सेमी कंडक्टर उपकरण विनिर्माताओं से बात की है और उन्होंने कहा कि उनके उपकरण में लगने वाली सामग्री का 30 फीसदी हिस्सा भारत से आता है।
फैब कंपनियों के लिए बुनियादी ढांचा अहम होगा? इस मसले का समाधान कैसे करेंगे?
इसमें बेहद स्वच्छ पानी और निर्बाध बिजली तथा प्रशिक्षित इंजीनियर की प्रमुख जरूरत होती है। हमने 85,000 योग्य इंजीनियरों को इसके लिए प्रशिक्षित करने का खाका तैयार किया है। एक वैश्विक कंपनी ने हाल ही में कहा था कि कोई भी अरबों डॉलर लगा सकता है लेकिन भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।