दूरसंचार विभाग ने आज कहा कि वह टावरों के बैकहॉल के लिए यानी दो सेल टावरों के बीच संपर्क के लिए दूरसंचार कंपनियों को ई बैंड (71 से 76 गीगाहर्ट्ज और 81 से 86 गीगाहर्ट्ज) में 250-250 मेगाहर्ट्ज के ज्यादा से ज्यादा दो कैरियर आवंटित करेगा। इससे देश भर में 5जी नेटवर्क बिछाने की राह से बड़ी बाधा दूर हो जाएगी और नेटवर्क तेजी से बिछेगा।
दूरसंचार कंपनियों के आवेदन के बाद भी बहुप्रतीक्षित ई बैंड स्पेक्ट्रम का आवंटन अटका हुआ था क्योंकि सरकार यही नहीं तय कर पाई थी कि इसके लिए एक्सेस स्पेक्ट्रम की तरह नीलामी की जाए या इसे एक्सेस स्पेक्ट्रम के साथ दिया जाए अथवा सरकार द्वारा तय कीमत पर दे दिया जाए। ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम ने सार्वजनिक वाई-फाई में उपयोग के लिए इसे तय कीमत पर देने की मांग की थी।
दूरसंचार नियामक ने पहले सिफारिश की थी कि ई बैंड स्पेक्ट्रम को प्रशासन द्वारा तय कीमत पर दिया जाए मगर दूरसंचार कंपनियों ने इसका विरोध किया था। उनका कहना था कि समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए इसकी भी नीलमी की जानी चाहिए। किंतु 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी की मंजूरी देने वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैकहॉल स्पेक्ट्रम अस्थायी तौर पर आवंटित करने की मंजूरी दे दी। सरकार अंतरिम अवधि में प्रत्येक ई बैंड कैरियर के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं से उनके समायोजित सकल राजस्व का 0.15 फीसदी बतौर शुल्क लेगी। इस तरह दूरसंचार कंपनियों से 2021 के उनके एजीआर के आधार पर 313 करोड़ रुपये लिए जा सकते हैं। जब कीमत तय कर ली जाएगी तो अस्थायी आवंटन की तारीख से हिसाब लगाया जाएगा। उसके बाद अगर कुछ बकाया रहता है तो उस पर ब्याज नहीं देना पड़ेगा। उद्योग का अनुमान है कि देश में अभी 7.23 लाख दूरसंचार टॉवर हैं, जिनकी संख्या 5जी सेवा शुरू होने पर 10 लाख के पार पहुंच सकती है। मगर अभी केवल 34 फीसदी टावरों के पास फाइबर बैकहॉल है। बाकी टावर पर पारंपरिक स्पैक्ट्रम बैंडविड्थ वाले माइक्रोवेव से चलते हैं, जिनकी कवरेज का दायरा बहुत है। दिक्कत यह है कि तेज रफ्तार इंटरनेट वाली 5जी सेवा इन बैंडों पर नहीं चल सकतीं। इनके लिए फाइबर या ई बैंड स्पेक्ट्रम की जरूरत है।
विश्लेषकों के अनुसार इससे एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को ज्यादा लाभ होगा क्योंकि इनके पास फाइबर कनेक्शन वाले टावर कम हैं।
5जी के लिए 1.45 लाख करोड़ रुपये की बोलियां
नई पीढ़ी की 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी की प्रक्रिया आज शुरू हो गई। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि चार चरण की बोली प्रक्रिया के बाद पहले दिन 1.45 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बोलियां मिलीं। उन्होंने कहा कि इस बार 700 मेगाहर्ट्ज बैंड फ्रीक्वेंसी में भी बोलियां मिली हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्पेक्ट्रम का आवंटन 15 अगस्त तक पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही देश के कई शहरों में साल के अंत तक 5जी सेवाएं शुरू होने की संभावना है। नीलामी में 600 से 2,300 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगार्ट्ज फ्रीक्वेंसी बैंड के स्पेक्ट्रम उपलब्ध हैं।