प्रमुख दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी रविंदर टक्कर ने सुरजीत दास गुप्ता और निवेदिता मुखर्जी से बातचीत में 5जी और रकम जुटाने की योजना से लेकर उद्योग में उथल-पुथल सहित विभिन्न मुद्दों पर खुलकर चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश:
क्या अस्तित्व बचाने के लिए वोडाफोन आइडिया का संघर्ष अब खत्म हो चुका है और कंपनी पटरी पर लौट चुकी है?
हम उससे उबर चुके हैं जिसे मैंने अस्तित्व का संकट कहा था कि कंपनी अपना परिचालन बकरार रख पाएगी या नहीं। अब हमारे पास जबरदस्त गुणवत्ता वाला नेटवर्क, ब्रांड, कारोबार और भरोसा है। पिछती तीन तिमाहियों के दौरान हमने कारोबार में लगातार वृद्धि दर्ज की है। हमारे प्रवर्तक दोबारा निवेश कर रहे हैं जबकि दो साल पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। साथ ही हमारे पास ऐसी सरकार है जिसने महसूस किया है कि इस उद्योग और तीनों कंपनियों की मदद की जानी चाहिए। अब हम जहां मौजूद हैं वह तीन साल पहले के मुकाबले बिल्कुल अलग जगह है। मैं समझता हूं कि संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है, वह कारोबार का हिस्सा है लेकिन अस्तित्व के लिए संघर्ष अब खत्म हो चुका है। अब हमारी लड़ाई बाजार में है।
कंपनी 25,000 करोड़ रुपये जुटा रही है। जुटाई जाने वाली रकम का उपयोग कहां करने की योजना है?
आज हमारे 4जी नेटवर्क का दायरा 1 अरब भारतीय आबादी से थोड़ा अधिक है जबकि एयरटेल जैसी प्रतिस्पर्धियों का दायरा 1.2 अरब आबादी तक है। इसलिए 4जी कवरेज के मोर्चे पर हमारा अंतर 20 करोड़ आबादी का है जिसे पाटने के लिए पूंजीगत खर्च करने की आवश्यकता होगी। दूसरा, 4जी आधार बढ़ने के साथ ही ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए हमें अपनी क्षमता बढ़ाने की भी जरूरत होगी। अगले तीन से चार साल के दौरान पूंजीगत खर्च का अधिकांश हिस्सा इन्हीं दो मोर्चों पर दिखेगा। हमें 25,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश की जरूरत होगी जिसके लिए बोर्ड से मंजूरी मिल चुकी है। हाल में हमारे प्रवर्तकों ने 4,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है और अब हमें करीब 20,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। यह रकम ऋण एवं इक्विटी के जरिये जुटाने की योजना है।
देश में 5जी के संभावित बाजार के बारे में आप क्या कहेंगे?
5जी का दायरा काफी व्यापक है। 4जी के लिए यदि आपके पास कोई स्मार्टफोन है तो आप तमाम ऐप और हाई स्पीड ब्रॉडबैंड से जुड़ सकते हैं लेकिन 5जी विभिन्न प्रकार की कनेक्टिविटी उपलब्ध कराती है जिसके उपयोग का मामला अभी स्पष्ट नहीं है। हमने पुणे और गांधीनगर में 5जी परीक्षण के दौरान करीब 20 मामलों की ओर इशारा किया था जिनमें से कुछ दिलचस्प एवं अभिनव हैं। हालांकि फिलहाल हमें यह जानकारी नहीं है कि उनमें से कौन सा मामला प्रासंगिक होगा और कौन नहीं। हमने यह देखने के लिए कंपनियों के साथ करार किए हैं कि हम उनका विकास कैसे कर सकते हैं लेकिन उसके बारे में समय ही बताएगा। आज 5जी के उपयोग का कोई मामला नहीं है कि कोई उसे लॉन्च करे और अन्य भी उसी ओर कदम बढ़ा दे। यहां तक कि वैश्विक स्तर पर भी इसकी तलाश की जा रही है।
क्या 25,000 करोड़ रुपये आपकी योजनाओं के लिए पर्याप्त होंगे? क्या आप 5जी के लिए आक्रामक बोली लगाएंगे?
यह रकम बिल्कुल पर्याप्त होगी। जाहिर तौर पर हम इसे बढ़ा सकते हैं और अधिक रकम की जरूरत पड़ने पर बाजार का रुख कर सकते हैं। हमने अपनी कारोबारी योजना को हाल में अंतिम रूप दिया है और उसके लिए यह रकम पर्याप्त दिख रही है। जहां तक 5जी का सवाल है तो मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा क्योंकि वह प्रतिस्पर्धा का मामला है। मैं केवल इतना कहना चाहूंगा कि 5जी के मुद्दे पर उद्योग ने नियामक के साथ काफी लंबा और व्यापक विचार-विमर्श किया है। उन्होंने कई चीजें की हैं जो अच्छी हैं जैसे स्पेक्ट्रम के लिए एकमुश्त 50 फीसदी रकम के भुगतान के बजाय सालाना आधार पर भुगतान की अनुमति। स्पेक्ट्रम की सीमा यह सुनिश्चित करेगी कि स्पेक्ट्रक का दायरा कितना विस्तृत होगा अथवा वह कुछ ही ऑपरेटरों तक सीमित रहेगा।