जब कोविड-19 संकट के दौरान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बहुत से लोगों के लिए रोजमर्रा का एक साधन बन गया है, ऐसे समय में लोगों को आपस में जोड़े रखने के लिए कू एवं चिंगारी जैसी स्टार्टअप नई सुविधाएं लेकर आ रहे हैं।
कू ने टॉक-टू-टाइप फीचर लॉन्च किया है, जिसके माध्यम से उपयोगकर्ता अपने विचारों को जोर से बोल सकते हैं और उनके विचार कीपैड या कीबोर्ड का उपयोग किए बिना स्क्रीन पर स्वत: लिखे जाएंगे। वहीं चिंगारी ने फायरसाइड नामक ऑडियो-ओनली सोशल मीडिया ऐप लॉन्च करने के लिए क्लबहाउस से हाथ मिलाया है, जो उपयोगकर्ताओं को पूरी तरह ऑडियो फॉर्मेट में बातचीत करने में मदद करेगा। इन सभी नई पहलों से भारतीयों के ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर आपस में जुडऩे के तरीकों में नयापन आएगा।
इस ऐप में 24 घंटे कोविड-19 हेल्पलाइन रूम भी होंगे जहां लोग मदद के लिए अपनी रिक्वेस्ट डाल सकते हैं और प्रसारित कर सकते हैं। चिंगारी ऐप पर, फायरसाइड उपयोगकर्ता अद्यतन रहने के लिए किसी भी विषय पर चैट कर सकते हैं और ऑडियो सेशन के दौरान एक दर्शक या सदस्य के तौर पर वहीं होने वाली बातचीत को सुन एवं सीख सकते हैं। कंपनी का कहना हैं कि वर्कशॉप से लेकर डिबेट तक, फैन-फिक्शन से लेकर स्पष्ट बयानों तक यहां सब कुछ मिलेगा। कंपनी के अनुसार, इस मंच का उद्देश्य है कि अगर कोई भी बोलना या सुनना चाहे, उसके लिए एक प्लेटफॉर्म होना चाहिए।
फायरसाइड एवं चिंगारी के मुख्य कार्यधिकारी और सह-संस्थापक सुमित घोष का कहते हैं, ‘महामारी ने अनिश्चितता और अलगाव को बढ़ा दिया है, जिससे लोग परस्पर बातचीत के लिए तरस रहे हैं। फायरसाइड की मदद से उपयोगकर्ता अपने प्रियजनों की आवाज सुन सकेंगे, उनसे बात कर सकेंगे जिससे उनके बीच के भावनात्मक अंतर को कम किया जा सकेगा। एक बड़े समूह के निर्माण पर जोर देने के साथ ही फायरसाइड का उद्देश्य क्लबों एवं ग्रुपों के साथ भारतीय बाजार की उन आवश्यकता को पूरा करना है जो स्थानीय जरूरतों एवं संवेदनशीलता के अनुरूप हो।’
कलारी कैपिटल समर्थित कू, मूल भारतीय भाषा में लोगों के साथ विचार साझा करने का सबसे आसान तरीका है। इसी तरह, कंपनी का नया टॉक-टू-टाइप फीचर कन्नड़, तमिल, तेलुगू, मराठी और बांग्ला जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगा।
कू के सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण कहते हैं, ‘भारतीय भाषाएं बोलने वाले अब अपने मन की बात कह सकते हैं और उनके शब्द जादुई रूप से स्क्रीन पर दिखाई देंगे। जिन लोगों के लिए स्थानीय भाषाओं में लिखना मुश्किल था, उनके लिए यह सुविधा उस सारी परेशानी को दूर कर देगी। हम अभिव्यक्ति के सबसे आसान स्थानीय रूपों को सक्षम करके और भारत में अपने विचारों को सहज तरीके से प्रस्तुत करके भारतीयों की वैल्यू बढ़ाते रहेंगे।’ कंपनी के मुताबिक ऐसा फीचर लॉन्च करने वाला यह दुनिया का पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है।
कू के एक अन्य सह-संस्थापक मयंक बिदावत कहते हैं, ‘हमारा मिशन कू पर पूरे भारत को जोडऩा और एक अरब भारतीय आवाज को अपनी मातृभाषा में बात अभिव्यक्त करने में सक्षम बनाना है। हम उन सभी के लिए भी विचार अभिव्यक्ति को सरल बनाए रखेंगे जो अपने साथियों या ऑडियंस से जुडऩा चाहते हैं।’