देश में तेजी से बढ़ रही ऑनलाइन गेमिंग के लिए सरकार एक नियामक नियुक्त करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। सरकार ने इस आशंका के बाद यह कदम उठाया है कि ऑनलाइन गेमिंग काले धन को सफेद बनाने का जरिया बन सकती है। सरकार के इस कदम का ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि नियामक नियुक्त होने से इस क्षेत्र पर लटक रही अनिश्चितता की तलवार हट जाएगी और निवेश में भी इजाफा होगा।
फिलहाल सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि ऐसी इकाइयों का नियामक कौन होगा। मगर सूत्रों का कहना है कि इतना तो तय है कि यह उत्तरदायित्व वित्तीय क्षेत्र के किसी नियामक को नहीं सौंपा जाएगा क्योंकि जरूरी विशेषज्ञता नहीं होने की वजह से वह इस काम को पूरी शिद्दत से अंजाम नहीं दे पाएगा।
ई-गेमिंग फेडेरेशन (ईजीएफ) के मुख्य कार्याधिकारी समीर बार्डे ने ऑनलाइन गेमिंग के लिए नियामक नियुक्त करने की पहल की पुष्टि की। उन्होंने कहा, ‘हम विभिन्न मंत्रालयों से बात कर रहे हैं। हमारा मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग के लिए एक नियामक की जरूरत है।’ बार्डे ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ई-गेमिंग का नियमन करने वाली केंद्रीय एजेंसी के समक्ष सारे नियम-शर्तें स्पष्ट होंगे। मुझे लगता है कि इस क्षेत्र के लिए एक नियामक का होना जरूरी है। इससे ऑनलाइन खेल से जुड़े सभी पक्षों को लाभ होगा।’ सूत्रों ने कहा कि सरकार ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए मौजूदा ढांचे की भी समीक्षा कर रही है। सरकार इस बात की पड़ताल कर रही है कि इन गतिविधियों की अनुमति है या वित्तीय तंत्र से ये बाहर हैं। विभिन्न राज्यों ने इस क्षेत्र को लेकर अलग-अलग रवैया अपना रखा है।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने ऑनलाइन गेमिंग के नियमन से संबंधित दस्तावेज देखे हैं। इन दस्तावेज के अनुसार सरकार ने पाया है कि भारत से बाहर और मौजूदगी नहीं रखने के बावजूद किसी दूसरे देश में सूचीबद्ध कंपनियों को यहां गेमिंग उत्पाद शुरू करने से रोकने का कोई कानून नहीं है। लिहाजा सरकार को लगता है कि भारत में परिचालन करने वाली ऐसी कंपनियों के लिए कुछ शर्तें तय करना जरूरी हो गया है।
सरकार ने यह भी पाया है कि ई-गेमिंग उद्योग देश में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और इनका सालाना राजस्व लगातार बढ़ रहा है। भारत दुनिया के पांच शीर्ष मोबाइल गेमिंग बाजारों में शामिल है।
नियामक की जरूरत पर बार्डे ने कहा, ‘एक उद्योग के लिहाज से नियामक अनिश्चितता ठीक नहीं होती है। ऑनलाइन गेमिंग उद्योग की भी हालत फिलहाल ऐसी ही है। नियामक नहीं होने से इस खंड की कंपनियां पूरी क्षमता के साथ परिचालन नहीं कर पा रही हैं। अनिश्चितता की वजह से निवेशक भी अपने हाथ बंधे पा रहे हैं। अगर नियामक स्तर पर अनिश्चितता है तो वे निवेश करने या विस्तार के संबंध में कोई निर्णय कैसे ले पाएंगे।’
ईजीएफ ने ऑनलाइन रमी उद्योग के पारदर्शी, पेशेवर और उचित परिचालन मानदंड तैयार करने के लिए अमेरिका और यूरोपीय देशों के गेमिंग नियामकों के साथ काम किया है। ईजीएफ ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए एक स्वतंत्र स्व-नियामकीय इकाई है।
