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मनोरंजन चैनलों में ‘रियल’!

Last Updated- December 09, 2022 | 11:46 PM IST

सुनील लुल्ला खुद के द्वारा पैदा किए गए प्रतिद्वंद्वियों से अलग हटकर एक नए चैनल को लॉन्च करना चाहते हैं।
इस साल मार्च महीने में शुरू होने जा रहे ‘रियल’ चैनल में न कोई सास-बहू टाइप का धारावाहिक दिखाया जाएगा और न ही इसमें पौराणिक धारावाहिकों को शामिल किया जाएगा।
याद हो कि जब स्टार के प्रोग्रामिंग हेड समीर नायर ने एकता कपूर की बालाजी टेलीफिल्म्स पर दांव लगाने का फैसला किया था तो उसके बाद मानो सास-बहू धारावाहिकों का एक दौर ही शुरू हो गया था। साथ ही जब नायर ने हाल ही में एनडीटीवी इमेजिन पर रामायण शुरू की तो उस प्रोग्राम से भी उन्होंने काफी पैसे बटोरे।
लेकिन इसके उलट, लुल्ला ऐसा कुछ नहीं करने वाले हैं। लुल्ला मनोरंजन बाजार एक अलग ही सेगमेंट को लक्ष्य बनाना चाहते हैं। लुल्ला रियल ग्लोबल ब्रॉडकास्टिंग के निदेशक हैं। यह टर्नर इंटरनैशनल और अल्वा ब्रदर्स वाली मिडिटेक की संयुक्त उपक्रम कंपनी है।
लुल्ला बताते हैं, ‘हमारा चैनल नव भारतीयों पर आधारित होगा। यहां नव भारतीयों का मतलब 15 से 34 साल के उन ऊर्जावान, जुझारू और जागरूक लोगों से है जो बहुत ज्यादा एक-दूसरे से संपर्क स्थापित करते हैं और जो हिंदी भी बोलते हैं। हमारे कार्यक्रम मुख्य रूप से वास्तविक कहानियों से जुड़े हुए होंगे, जोकि लोगों को खुशियां प्रदान करने के साथ-साथ आकांक्षाओं की नई उड़ान की ओर भी ले जाएंगे।’
भले ही यह चैनल एक नए रूप में उतरने की बात कर रहा हो लेकिन इस अंतर के बावजूद उद्योग जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि दर्शकों को रिझाने के लिए रियल भी कुछ ऐसे बड़े प्रोग्राम शुरू करेगा जिसमें पुरस्कार के तौर पर बड़ी राशि देने का खेल खेला जाता है।
मसलन, रियल की रणनीति कमोबेश नेटवर्क 18 द्वारा हाल ही में लॉन्च किए गए कलर्स की तरह ही होगी। मालूम हो कि न्यूज चैनल से मनोरंजन चैनल की दुनिया में पांव रखने वाला नेटवर्क 18 कलर्स के जरिए बहुत कम समय में ही बड़े चैनलों की श्रेणी में शुमार हो गया है।
वास्तव में, रियल पर दिखाए जाने वाले प्रोग्राम का प्रारूप कमोबेश कलर्स पर दिखाए जाने वाले ‘बिग बॉस’ की तरह ही होगा। उदाहरण के लिए ‘सरकार की दुनिया’, 100-दिनों तक दिखाया जाने वाला एक रियलिटी शो है जिसमें खिलाड़ियों को ‘निरंकुश शासन’ के तहत एक टापू पर रखा जाएगा।
दूसरी तरफ एक प्रोग्राम है जिसका नाम ‘पोकर फेस’ है। इस प्रोग्राम में हर हफ्ते प्रतियोगी 1 करोड़ रुपये तक जीत सकता है। इस तरह का एक और प्रोग्राम है ‘विक्की की टैक्सी’, जिसमें हर तरह के लोग अपनी जीवन से जुड़ी कहानियां बताएंगे। आखिर इस चैनल की पूरी तस्वीर है क्या?
कुल मिलाकर कहें तो रियल पर दिखाए जाने वाले प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य लोगों का भरपूर मनोरंजन करना, उन्हें कल्पनाओं की दुनिया में ले जाना और साथ ही रियालिटी के और करीब लाना है। केबल और सैटेलाइट घरों तक पहुंच आसान बनाने के लिए टर्नर रियल की मदद करेगी। वास्तव में, यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस चैनल को करीब 1 करोड़ घरों से शुरू किया जाएगा।  इंडियन आइडल जैसे प्रोग्राम बनाने वाली मिडिटेक रियल के लिए कुछ प्रोग्रामों का संचालन करेगी।
एक अलग रणनीति…
लुल्ला की इस अलग रणनीति को इस तरह समझा जा सकता है कि लोग एक अलग तरह के चैनल को देखना चाहते हैं। इसमें अतिशयोक्ति नहीं कि हिन्दी जगत के आम मनोरंजन चैनलों (जीईसी) की भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में यह चैनल (रियल) एक नवजात शिशु की तरह होगा।
अभी से महज 18 महीने पहले मनोरंजन की दुनिया में सिर्फ तीन मुख्य चैनल थे-स्टार, जी और सोनी। लेकिन इस क्षेत्र में यह 12 वां चैनल होने वाले जा रहा है।
लुल्ला ने बताया, ‘पिछले साल तक हम लोग सोच रहे थे कि जीईसी के लिए विज्ञापन बाजार में 13-14 फीसदी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। हालांकि मंदी की वजह से प्रिंट और न्यूज चैनल पर विपरीत असर पड़ा है। लेकिन इस मंदी की मार से मनोरंजन चैनल प्रभावित नहीं हुआ है इसलिए हम लोग इस क्षेत्र में कदम आगे बढ़ा रहे हैं।
मालूम हो कि एफएमसीजी (उपभोक्ता जरूरतों की वस्तुएं) कंपनियां अपने विज्ञापन बजट में बढ़ोतरी कर रही हैं।’ स्टार प्लस के कार्यकारी उपाध्यक्ष कीर्तन आद्यांत्य बताते हैं, ‘मनोरंजन का यह क्षेत्र मध्यम गति से आगे बढ़ रही है… और यहां कई सारी कंपनियां एक साथ कमाई कर सकती हैं। लेकिन यह क्षेत्र बहुत खतरनाक होने के साथ-साथ बहुत फायदे वाला भी है… बस जरूरत है कि आपकी ‘जेब’ बड़ी हो ताकि खुद को लंबे समय तक खेल में बनाए रख सकें।’
अभी जितने भी महारथी चैनल हैं, जैसे आईएनएक्स, स्टार प्लस, स्टार वन, जी आदि ये सभी अपने-अपने दर्शक वर्ग को बनाए हुए हैं। ऐसे में रियल को अपने एक खास जगह बनाने के लिए निस्संदेह कुछ अलग करने की जरूरत होगी।
स्टार इंडिया के पूर्व मुख्य कार्य अधिकारी पीटर मुखर्जी कहते हैं, ‘हिंदी के आम मनोरंजन चैनलों की बात करें तो इस सेगमेंट में आधा विज्ञापन महिलाओं के लिए होता है और जीईसी चैनलों के करीब 60 फीसदी दर्शक इस श्रेणी में आते हैं। इसलिए हम लोगों ने इस श्रेणी के अनुसार ही क्रार्यकम तैयार करने का फैसला किया है।’
हालांकि मीडिया योजनाकार कहते हैं, ‘सभी चैनल दर्शक समूह के  रूप में महिलाओं को ही लक्षित कर रहे हैं, ऐसे में दर्शकों के लिए आईएनएक्स या फिर अन्य चैनलों पर जाना कोई खास महत्त्व नहीं रखता है। यहां तक कि कलर्स भी इसी तरह के दर्शकों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।’
इसमें कोई शक नहीं कि अभी के समय में किसी भी नए चैनल को 25 से 44 साल के बीच की महिला दर्शकों को आकर्षित कर पाना टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि ये महिलाएं पहले से किसी स्थापित चैनलों से साथ खुद को बांधे हुई हैं।
ऐसे में देखा जाए तो रियल की रणनीति कुछ अलग ही है। यह चैनल जीईसी की परंपरागत महिला-आधारित (जैसे-सास-बहू) धारावाहिकों से थोड़ा अलग हटकर ‘शिष्ट’ भारतीयों को लक्षित करेगा।
चुनौतियां भी तो हैं…
लुल्ला के प्रतिद्वंद्वी और यहां तक कि मीडिया खरीदार यह आशंका जता रहे हैं कि रियल की रणनीति उसके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। प्रतिद्वंद्वी और मीडिया खरीदारों का मानना है कि सास-बहू और पौराणिक जैसे धारावाहिकों से चैनलों की टीआरपी तो बढ़ती ही है, इसके साथ ही साथ विज्ञापनों में भी इजाफा देखने को मिलता है।
जीईसी क्षेत्र के एक प्रतिद्वंद्वी चैनल के सीईओ ने बताया, ‘हिंदी जगत के मनोरंजन चैनलों के लिए पौराणिक और सास-बहू धारावाहिक दाल और रोटी की तरह हैं। निस्संदेह आप इन्हें दूसरे तरीके से दिखा सकती हैं लेकिन आप इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।’
हालांकि नायर रियल की रणनीतियों को लेकर किसी तरह की टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं लेकिन उनका मानना है कि किसी भी चैनल को बाजार में उतारने और उसकी जांच करने के लिए यह सही समय नहीं है।
नायर कहते हैं, ‘रामायण और महिमा शनि देव के जैसे पौराणिक धारावाहिकों की लगातार सफलता से एक बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि दर्शक हमेशा ही क्वालिटी कंटेंट को देखना पसंद करते हैं। किसी चैनल के लिए सबसे खास बात होती है कि आप दर्शकों को रिझाने के लिए कितने आकर्षक प्रोग्राम प्रस्तुत कर रहे हैं।
मुझे बिल्कुल नहीं लगता है कि पौराणिक और सास-बहू टाइप की धारावाहिकों का अब दौर खत्म हो गया है। ये धारावाहिक अभी भी एक बड़े दर्शक वर्ग को लगातार आकर्षित कर रहे हैं। ‘बालिका वधू’ और ‘जय श्री कृष्ण’ जैसे धारावाहिकों ने इसे साबित कर दिखाया है।’
विज्ञापन बिक्री के विशेषज्ञों का मानना है, ‘ऐसा नहीं है कि नई चीजों के लिए दर्शकों की कमी है। लेकिन आप जीईसी क्षेत्र से अगल हटकर दर्शकों को आकर्षित करना चाहते हैं तो यह एक अलग मामला है। हालांकि एक बात यह भी है कि यह वे दर्शक नहीं हैं जो सास-बहू और पौराणिक धारावाहिकों को देखना नहीं पसंद करते हैं बल्कि वे इससे बाहर नहीं निकल सकते हैं।’
औरों से मुकाबले को हैं तैयार
इन चुनौतियों के अलावा रियल के पास कई और चुनौतियां भी हैं। संशोधित अनुमान यह सुझाता है कि हिन्दी के आम मनोरंजन चैनलों के दर्शकों का विकास दर 9-10 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता है।
देंत्सु मीडिया के मुख्य कार्य अधिकारी संजय चक्रवर्ती कहते हैं, ‘हिंदी के आम मनोरंजन चैनलों का विकास लगभग एक जैसा है। इस सेगमेंट में बहुत सारे चैनल जुड़ गए हैं और इससे यहां काफी चैनलों की भीड़ हो गई है।
टैम के सीईओ एल वी कृष्ण बताते हैं कि हिन्दी जीईसी श्रेणी पूरे केबल और सैटेलाइट जीआरपी का 28 फीसदी हिस्सा इस्तेमाल करता है जबकि 2007 में यह सिर्फ 26 फीसदी हिस्सा ही इस्तेमाल करता था। उन्होंने बताया कि 2009 में इसमें वृध्दि देखने को मिलेगी।

First Published - February 3, 2009 | 10:30 AM IST

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