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एनआरआई बेरोजगार,ठंडा शादी का बाजार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 10:22 PM IST

मंदी भी अजीबोगरीब है। वह नजर अमेरिका और यूरोप पर डाल रही है और निशाना बन रही हैं भारत में मैट्रिमोनियल यानी वैवाहिक वेबसाइट्स।


दरअसल अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में बढ़ती बेरोजगारी की वजह से इन वेबसाइट्स के ग्राहक दिनोंदिन कम होते जा रहे हैं। अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में रहने वाले एनआरआई भारी फीस देकर इन वेबसाइट्स के सदस्य बनते थे, लेकिन उनकी तादाद में 15 से 20 फीसदी की कमी आई है।

पिछले तकरीबन 5 साल से इन पोर्टलों के जरिये वर या वधू ढूंढने वालों की तादाद में लगातार इजाफा हो रहा था। भारी फीस देकर हर साल तकरीबन 50,000 से 60,000 एनआरआई इनके सदस्य बनते थे।

कारोबारी आंकड़ों के मुताबिक तो सालाना इन पोर्टलों के 12 लाख सदस्य बनते हैं, जिनमें केवल 10 फीसदी शुल्क देते हैं। अगर इनमें 10 फीसदी की भी गिरावट आ जाती है, तो पोर्टलों की कमाई घट जाएगी। यही वजह है कि इन पोर्टलों में मार्केटिंग खर्च कम हुआ है और शीर्ष अधिकारियों के वेतन में भी कटौती हुई है।

एक प्रमुख वैवाहिक पोर्टल के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम छिपाते हुए कहा, ‘शादी डॉट कॉम,जीवनसाथी डॉट कॉम और भारतमैट्रिमोनी जैसे पोर्टलों ने मार्केटिंग बजट में 30 फीसदी तक कमी की है।

कमोबेश सभी कंपनियों ने वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन में 15 फीसदी तक की कटौती कर दी है। इसके अलावा छंटनी भी शुरू कर दी गई हैं।’

सूत्रों की मानें, तो  इनमें से कोई भी पोर्टल मुनाफे में नहीं हैं और कुछ को तो जबरदस्त घाटा हो रहा है। शीर्ष चार पोर्टलों को पिछले वित्त वर्ष में 270 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था, जो इस साल 350 करोड़ रुपये हो जाने का अंदेशा है।

First Published : January 18, 2009 | 11:39 PM IST