फैबलेस चिप बनाने वाली ताइवान की कंपनी मीडियाटेक भारतीय फैब कंपनियों को चिप उत्पादन आउटसोर्स करना चाहती है। वह घरेलू बाजार की मांग को पूरा करने के लिए स्थापित होने वाली फैब कंपनियों को चिप उत्पादन आउटसोर्स करने के लिए तैयार है।
मीडियाटेक चिप का डिजाइन तैयार करने के बाद मोबाइल उपकरण बाजार के लिए स्थापित फैब इकाइयों में उनका उत्पादन करती है। वह भारतीय बाजार सहित वैश्विक स्तर पर अमेरिकी कंपनी क्वालकॉम से प्रतिस्पर्धा करती है। आईडीसी के अनुमानों के अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2021 की चौथी तिमाही के दौरान शिपमेंट के आधार पर वैश्विक स्मार्ट फोन बाजार में मीडियाटेक की हिस्सेदारी 42 फीसदी थी। इसी प्रकार एंड्रॉयड फोन बाजार में उसकी बाजार हिस्सेदारी 50 फीसदी से अधिक थी।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में मीडियाटेक के उपाध्यक्ष (कॉरपोरेट मार्केटिंग) फिनबर मोइनिहान ने कहा, ‘जाहिर तौर पर हम भारत में चिप उत्पादन से संबंधित घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं। चिप उत्पादन इकाइयां स्थापित होने के बाद हम निश्चित तौर पर उन कंपनियों के साथ काम करेंगे जो इन दक्षताओं की पेशकश करेंगी। यह हमारे उत्पाद और कारोबार के लिए उपयुक्त होगा। साथ ही यह बिल्कुल तर्कसंगत है कि जहां ग्राहक अपने फोन अथवा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बना रहे हैं उसी के आसपास चिप का उत्पादन किया जाए। चिप का उत्पादन न केवल घरेलू बाजार के लिए बल्कि निर्यात के लिए भी हो।’ मोइनिहान ने यह भी कहा कि वह अपनी भारतीय टीम को 5जी सहित उन्नत प्रौद्योगिकी में अधिक से अधिक डिजाइन दक्षता हासिल करने के लिए कह रहे हैं। लेकिन कंपनी को ताइवान के इतर स्थानांतरित क्यों होना चाहिए जहां दुनिया के सबसे बड़े फैब संयंत्र मौजूद हैं?
मोइनिहान ने कहा कि ताइवान के चिप विनिर्माता अब सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी पर काम कर रहे हैं जिसके लिए अनुसंधान एवं विकास पर भारी पूंजीगत खर्च करने की आवश्यकता है। वैश्विक स्तर पर अमेरिका, जापान, यूरोपीय देश और यहां तक कि भारत जैसे देश भी अपने देश में इन कारखानों को लाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन की पेशकश कर रहे हैं।
सेमीकंडक्टर बाजार के लिए भारत में मौजूद संभावनाओं के बारे में बताते हुए मोइनिहान ने कहा, ‘ऐसे कई अन्य प्रॉसेस प्रौद्योगिकी हैं जो कहीं अधिक परिपक्व हैं और ऐसा नहीं है कि वे महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक नहीं हैं। सेमीकंडक्टर की किल्लत ने दिखा दिया है कि अधिकांश किल्लत की वजह ऐसे परिपक्व नोड्स रही जो पर्याप्त उपलब्ध नहीं थे। उदाहरण के लिए, इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास से बिजली प्रबंधन सिलिकॉन की जबरदस्त मांग दिखने लगी और अधिकांश उन्नत प्रॉसेस प्रौद्योगिकी में उनका उत्पादन नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा इंटरफेस उत्पाद, कार प्रबंधन, साधारण आईओटी उपकरण आदि के लिए भी काफी निवेश एवं प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होती है। इसलिए उन्हें किसी अन्य जगह स्थानांतरित होना पड़ेगा लेकिन प्रोत्साहन मिलने पर ऐसा कोई कारण नहीं दिखता है कि हम किसी अन्य जगह उसे नहीं बना सकते हैं। ‘
मीडियाटेक का यह आश्वासन काफी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि उद्योग में चिंता जताई जा रही है कि अपने खरीदारों (मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं) तक सीधी पहुंच रखने वाले फैबलेस कंपनियां अपनी क्षमता को संभवत: भारत स्थानांतरित नहीं करेंगी क्योंकि वे ठोस वैश्विक मात्रात्मक बिक्री को प्राथमिकता देंगी। इससे उन्हें बड़े ताइवानी फैब संयंत्रों के मुकाबले बेहतर मूल्य मिल सकते हैं। परिणामस्वरूप चिप की मांग बढ़ने के बावजूद भारतीय फैब संयंत्रों को अधिक ऑर्डर नहीं मिल पाएंगे।
सरकार ने सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए 10 अरब डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है। देश में चिप संयंत्र स्थापित करने के लिए तीन प्रस्ताव पहले ही मिल चुके हैं। इन पर बातचीत जारी है ।