facebookmetapixel
सस्ते स्टील पर बड़ा प्रहार! भारत ने वियतनाम पर 5 साल का अतिरिक्त टैक्स लगाया45% तक मिल सकता है रिटर्न! शानदार नतीजों के बाद Vodafone Idea, Bharti Airtel में तगड़ी तेजी का सिग्नलदिग्गज Defence Stock बन सकता है पोर्टफोलियो का स्टार, ब्रोकरेज का दावा- वैल्यूएशन तगड़ा; 35% रिटर्न का मौका2025 में 7% की रफ्तार से बढ़ेगी भारत की GDP, मूडीज ने जताया अनुमान35% गिर सकता है ये सरकारी Railway Stock! ब्रोकरेज का दावा, वैल्यूएशन है महंगाक्या सोने की बढ़ती कीमतें आने वाली महंगाई का संकेत दे रही हैं? एक्सपर्ट ने दिया बड़ा संकेतPhysicsWallah या Emmvee या Tenneco! किस IPO में पैसा लगाने रहेगा फायदेमंद, जान लेंPhysicsWallah IPO: सब्सक्राइब करने का आखिरी मौका, जानें GMP और ब्रोकरेज का नजरियाGold and Silver Price Today: सोना ₹1.26 लाख के पार, चांदी ₹1.64 लाख के करीब; दोनों मेटल में जोरदार तेजीएमएसएमई का सरकार से एनपीए नियमों में बड़े संशोधन का आग्रह, 90 से 180 दिन की राहत अवधि की मांग

सेलफोन की हजारों दुकानों पर लगे ताले

Last Updated- December 12, 2022 | 3:40 AM IST

कोविड-19 महामारी और उसके बाद घोषित लॉकडाउन ने मोबाइल हैंडसेट के खुदरा बाजार को बुरी तरह प्रभावित किया है। महीनों तक कारोबार बंद रहा और ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए आकर्षक पेशकश लाती रहीं, जिससे पिछले एक साल में हैंडसेट की हजारों दुकानें हमेशा के लिए बंद हो गई हैं।
बाजार का विश्लेषण करने वाले प्लेटफॉर्म प्रेडिक्टिव्यू से मिले आंकड़ों के मुताबिक देश में वर्ष 2020 की शुरुआत से मोबाइल हैंडसेट की करीब आठ फीसदी दुकानें पूरी तरह बंद हो गई हैं। इस दौरान सबसे ज्यादा दबाव उत्तर भारतीय बाजार पर रहा, जो देश के सभी चार क्षेत्रों में सबसे बड़ा बाजार है। प्रेडिक्टिव्यू के विश्लेषकों के मुताबिक उत्तरी क्षेत्र में करीब 10 फीसदी दुकानें बंद हो गईं। आम तौर पर उत्तरी क्षेत्र का कुल बिक्री में 35 फीसदी योगदान होता है।
कुल मोबाइल बिक्री में करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी वाले पश्चिमी भाग में 9 फीसदी दुकानें बंद हो गईं। और दक्षिण भारत में लगभग छह फीसदी दुकानें बंद हुई हैं। पूर्वी क्षेत्र मोबाइल फोन बिक्री के लिहाज से सबसे छोटा है मगर वहां भी तीन फीसदी दुकानों पर ताले लग गए हैं। प्रेडिक्टिव्यू दुकान मालिकों की खुदरा खरीद के आंकड़ों, डिजिटल रुझानों, ग्राहक वरीयता और मीडिया खर्च का सूक्ष्म स्तर पर तात्कालिक विश्लेषण करती है। यह अपनी ऐप्लिकेशन के जरिये सीधे खुदरा विक्रेताओं से जानकारी जुटाती है। ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल खुदरा विक्रेता अकाउटिंग और परिचालन में करते हैं। ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (एआईएमआरए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंदर खुराना के मुताबिक जब खुदरा विक्रेता अपना वजूद बचाने के लिए जूझ रहे थे, उसी वक्त लॉकडाउन का कहर उन पर टूट पड़ा। उन्होंने कहा, ‘खुदरा विक्रेताओं के एक बड़े वर्ग ने कारोबार बंद करना ही सही समझा क्योंकि उसे चलाने का खर्च उनके वश का नहीं था। हमारे पास दुकानों के बंद होने के सटीक आंकड़े तो नहीं हैं, लेकिन कुछ हजार दुकानें तो बंद हो ही गई हैं।’
खुराना का आरोप है कि मोबाइल दुकानदारों की मौजूदा दुर्दशा में ई-कॉमर्स कंपनियों और हैंडसेट विनिर्माताओं के गठजोड़ की अहम भूमिका है। श्याओमी जैसे प्रमुख ब्रांड अपने सबसे अच्छे फोन केवल ऑनलाइन बेचते हैं। इसलिए भी ग्राहक दुकानों पर नहीं जा रहे। इसके अलावा ई-कॉमर्स कंपनियां भारी छूट दे रही हैं, जिनकी बराबरी छोटे दुकानदार कभी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन हटते ही प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियां हैंडसेटों पर भारी छूट देने लगी हैं, जबकि दुकानदार पांच फीसदी मार्जिन पर काम कर रहे हैं। हम कभी इतनी भारी छूट नहीं दे सकते।’

First Published - June 15, 2021 | 11:23 PM IST

संबंधित पोस्ट