दुनिया भर के ऐप में खामियां ढूंढकर चर्चा में आए फ्रांस के रॉबर्ट बटीस्ट के एक दावे ने भारत में ट्विटर और कू पर जारी चर्चा में नया मोड़ जोड़ दिया है। बटीस्ट ने कल देर रात आरोप लगाया कि पूरी तरह तरह भारतीय होने का दावा करने वाला माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू अपने उपयोगकर्ताओं की जानकारी लीक कर रहा है। बटीस्ट ट्विटर पर इलियट एल्डरसन के नाम से मौजूद हैं।
बटीस्ट ने कल अपने ट्वीट में कहा, ‘आपने कहा तो मैंने कर डाला। मैंने इस नए ऐप कू पर 30 मिनट गुजारे। ऐप अपने उपयोगकर्ताओं की जानकारी: ईमेल, जन्मतिथि, नाम, विवाहित या अविवाहित होने की बात, स्त्री या पुरुष होने की जानकारी आदि लीक कर रहा है…।’ उन्होंने अपने दावे के समर्थन में कुछ स्क्रीनशॉट भी डाले। एक स्क्रीनशॉट से लग रहा था कि भारतीय भाषाओं में ट्विटर जैसा अनुभव देने वाले इस ऐप का चीन से रिश्ता है।
मगर कू के सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण ने आज इसका जवाब देते हुए ट्वीट किया, ‘जानकारी लीक करने की खबर बिना मतलब में चलाई जा रही है। कृपया पढ़ें: जो जानकारी दिख रही है, वह उपयोगकर्ता ने अपनी मर्जी से कू पर अपने प्रोफाइल में दिखाया है। इसे जानकारी लीक करना नहीं कहा जा सकता यदि आप उपयोगकर्ता के प्रोफाइल पर जाएंगे तो आपको यह सब दिख ही जाएगा।’
बटीस्ट ने जवाबी ट्वीट में राधाकृष्ण की दलील को ‘झूठ’ बताते हुए कू के एक उपयोगकर्ता का स्क्रीनशॉट पोस्ट किया, जिसमें उसके प्रोफाइल विवरण में जन्मतिथि, वैवाहिक स्थिति आदि का जिक्र नहीं किया गया था। इसके बाद राधाकृष्ण ने बाकायदा बयान जारी कर दोहराया कि बटीस्ट जिसे लीक बता रहे हैं, वह जानकारी उपयोगकर्ता ने अपनी मर्जी से दिखाई है। उन्होंने यह भी कहा कि कू के 95 फीसदी उपयोकर्ता अपने मोबाइल फोन नंबर के जरिये लॉग इन करते हैं। क्षेत्रीय भाषाओं का इस्तेमाल करने वाले अक्सर ईमेल का इस्तेमाल नहीं करते इसलिए ईमेल कंपनी की प्राथमिकता में भी नहीं था। बयान में कहा गया कि हाल ही में ईमेल से लॉगइन की सुविधा दी गई है और चिंताओं को देखते हुए ईमेल दिखने की सुविधा हटा दी गई है। राधाकृष्ण ने यह भी कहा कि केवल 10 महीने पुराने प्लेटफॉर्म को इतने अधिक उपयोगकर्ता आने का अंदाजा नहीं था और दिन-ब-दिन वह अपनी क्षमता बढ़ा रहा है।
चीनी रिश्तों का जिक्र करते हुए राधाकृष्ण ने कल ही ट्वीट किया था कि चीन की शुनवे कैपिटल ने मामूली निवेश किया था और वह जल्द ही कू से बाहर हो रही है। इसके बाद चर्चा शुरू हो गई थी कि कू पूरी तरह भारतीय कंपनी नहीं है।
ऐप ने आज जारी बयान में इस पर विराम लगाने के लिए कहा, ‘कुछ भारतीय उद्यमी कू में निवेश कर रहे हैं जिनमें बुकमायशो के आशीष हेमरजनी, बाउंस के विवेकानंद, जीरोधा के निखिल कामत आदि शामिल हैं। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि कंपनी को बड़ी तादाद में देश से पूंजी मिल रही है।’ बयान में यह भी कहा गया कि कू की मूल कंपनी बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज में 41 लाख डॉलर का हालिया निवेश 3वन4 कैपिटल की अगुआई में हुआ है, जो भारतीय निवेशक है। कंपनी ने कहा कि शुनवे ने ताजा फंडिंग में हिस्सा नहीं लिया। चीनी कंपनी ने भारतीय कंपनी के पहले उत्पाद वोकल के लिए निवेश किया था, जो उपयोगकर्ताओं के सवालों के जवाब भारतीय भाषाओं में देता है। मगर अब शुनवे पूरी तरह अलग
हो जाएगी। दिन में ट्विटर पर कू की मौजूदगी के बारे में भी भ्रम फैला। कहा गया कि कूऐपऑफिशियल नाम के ट्विटर हैंडल पर रोक लगा दी गई है। मगर राधाकृष्ण ने ट्वीट कर स्पष्ट किया कि यह कंपनी का आधिकारिक ट्विटर अकाउंट नहीं है।