इन्फोसिस के कार्यकारी चेयरमैन और आधार के प्रमुख वास्तुकार नंदन नीलेकणी ने कहा है कि भारत कुछ प्रमुख एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) नवाचार के केंद्र में है। वह इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग और नैसकॉम द्वारा स्थापित राष्ट्रीय एआई पोर्टल इंडियाएआई के पहले वर्षगांठ पर आयोजित फायरसाइट चैट पर बोल रहे थे।
नीलेकणी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान सरकार ने लेनदेन प्रणाली स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है और इससे विभिन्न प्रणाली में बड़े पैमाने पर डेटा भंडार सृजित हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा जैसे भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण मामलों में व्यापक तौर पर एआई को लागू करने के लिए यह सही समय है। सरकार और उद्योग दोनों एआई को अनोखे तरीके से लागू करने के लिए बिल्कुल तैयार है।’
नीलेकणी से जब पूछा गया कि भारत में आधार अथवा यूपीआई की तरह व्यापक तौर पर एआई का उपयोग कब तक हो सकता है तो उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं का अनुवाद करने के लिए राष्ट्रीय अनुवाद मिशन भाषा श्रेणी में भारत में एक व्यवधान है। उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि राष्ट्रीय अनुवाद मिशन पर नीति आयोग जो काम कर रहा है वह एक बड़ा व्यवधान है। भारत एक अनोखा देश है जहां विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं और हर कोई कम से कम 2-3 भाषाएं बोलता है। मैं समझता हूं कि भारत दुनिया को दिखा सकता है कि हम कितने अच्छे तरीके से इस प्रकार का एक प्लेटफॉर्म तैयार कर सकते हैं।’
इंडियाएआई को एआई से संबंधित सभी चीजों के लिए केंद्रीय ज्ञान भंडार के तौर पर तैयार किया गया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव अजय साहनी ने कहा कि एआई को लागू करने के लिए एक मात्र महत्त्वपूर्ण क्षेत्र सभी हितधारकों के लिए सेवाओं और निर्णय लेने की गुणवत्ता में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के लिए ऐसा ही एक राष्ट्रीय सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म को तैयार किया गया था। इसके तहत सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाया जा सकता है।