भले ही ज्यादातर भारतीय प्रबंधन संस्थान एवं बिजनेस स्कूल इस साल के प्लेसमेंट को लेकर काफी हद तक सफल रहे हैं, लेकिन छात्रों में नौकरियों को लेकर पोर्टलों पर उम्मीदें बढ़ती जा रही हैं।
ये छात्र विभिन्न जॉब पोर्टलों पर अपने रिज्यूम अपलोड कर रहे हैं। प्रमुख बिजनेस स्कूलों, जिनमें भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) और इंडियन बिजनेस स्कूल (आईएसबी) भी शामिल हैं, से 2009 बैच के स्नातकों के बीच इस साल एक नया रुझान देखने को मिल रहा है।
हाल में संपन्न हुए प्लेसमेंट के दौरान नौकरियां हासिल करने में सफल रहने के बावजूद ये छात्र विभिन्न पोर्टलों पर अपने रिज्यूम अपलोड करने में लगे हुए हैं। इस बार के प्लेसमेंट से पूरी तरह खुश नहीं रहने वाले ये छात्र बेहतर अवसरों की तलाश में लगे हुए हैं।
हाल के कुछ समय में जॉब पोर्टलों पर रिज्यूम की बाढ़ आ गई है जो इन पोर्टलों के संचालकों के लिए एक आश्चर्य की तरह है। आईआईएमजॉब्स डॉट कॉम का ही उदाहरण ले लीजिए। ईआईएमजॉब्स डॉट कॉम को हाल में ही प्रमुख बिजनेस स्कूलों से 2009 के स्नातकों से 300 से भी अधिक रिज्यूम प्राप्त हुए हैं।
आईआईएमजॉब्स डॉट कॉम के संस्थापक एवं आईआईएम-इंदौर से स्नातक तरुण मट्टा कहते हैं, ‘प्लेसमेंट की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद भी पोर्टल पर रिज्यूम अपलोड किए जाने का सिलसिला तेज बना हुआ है। यह असाधारण बात है और इससे संकेत मिलता है कि छात्र प्लेसमेंट के जरिये प्राप्त हुई नौकरियों से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। यह चलन सभी आईआईएम से लेकर सभी बिजनेस स्कूलों में देखा जा सकता है।’
भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (आईआईएम-ए) के एक छात्र ने बताया, ‘आईआईएम के ज्यादातर छात्रों को अच्छी नौकरियों के ऑफर मिले हैं, लेकिन ये छात्र 6 महीने के अंदर और बेहतर नौकरी की तलाश कर लेना चाहते हैं।
हालांकि मौजूदा मंदी के माहौल को ध्यान में रख कर इस संस्थान के कई छात्र अच्छे ऑफरों का अभाव महसूस कर रहे हैं और वे औसत नौकरियों को भी खोना नहीं चाहते हैं। छात्रों के बीच असुरक्षा और असंतोष की भावना पैदा हो गई है जिसने अधिकांश छात्रों को नौकरी डॉट कॉम, आईआईएमजॉब्स डॉट कॉम जैसे पोर्टलों पर निर्भर रहने के लिए प्रेरित किया है। ये छात्र इन पोर्टलों के जरिये अच्छे ऑफर मिलने की उम्मीद लगाए हुए हैं।’
इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) के छात्रों के लिए पोर्टलों पर रिज्यूम डालने के लिए प्लान बी एक आदर्श पसंद बन चुका है। आईएसबी के एक छात्र ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, ‘हमारा प्लेसमेंट अभी भी जारी है और मैंने इस उम्मीद के साथ विभिन्न पोर्टलों पर अपना रिज्यूम डाला है कि मुझे इन पोर्टलों से कुछ न कुछ प्रतिक्रिया जरूर मिलेगी। हालांकि कुछ छात्रों को विदेशी ऑफर भी मिल रहे हैं, लेकिन वे इनसे परहेज कर रहे हैं। उनका मानना है कि विदेशी ऑफरों से सिर्फ असुरक्षा और चिंता ही बढ़ेगी।’
यही नहीं, अमेरिका या ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों से प्रबंधन की डिग्री लेने वाले छात्र भी भारत में नौकरियां तलाश रहे हैं। नौकरी दिलाने वाले पोर्टलों का कहना है कि उन्हें कम से कम 15-20 फीसदी ट्रैफिक भारत से प्राप्त हो रहा है।
जमनालाल बजाज इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के एक छात्र ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, ‘ऐसे कई छात्र हैं जो विदेशी कंपनियों से मिलने वाले ऑफरों में दिलचस्पी ले रहे थे, लेकिन विदेशी प्लेसमेंट को लेकर छात्रों में बढ़ रही असुरक्षा को ध्यान में रख कर उन्होंने अपना इरादा बदल दिया है।’
