लोहा ही लोहे को काटता है। यह बात अब कंपनी जगत को भी बखूबी समझ में आ चुकी है। इसीलिए उसने हैकरों से निपटने के लिए खुद हैकरों की ही शरण में जाने की राह पकड़ ली है।
हैकर बिरादरी के ये शिकारी ब्लू हैट हैकरों के नाम से जाने जाते हैं। एबीएन एमरो, आदित्य बिरला ग्रुप बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बॉम्बे डाइंग, एचएसबीसी, आईसीआईसीआई बैंक, इंडिया बुल्स, सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब, सिटीबैंक, इंडिया इंफोलाइन, इस्पात इंडस्ट्रीज और कोटक महिन्द्रा जैसे बड़े नाम ऐसे लोगों का सहारा ले रहे हैं, जो हैकिंग की सारी तकनीकी महारत से वाकिफ हों ताकि उसका इस्तेमाल कंपनी के डाटा की सुरक्षा के लिए किया जा सके।
ब्लू हैट हैकर एक कंप्यूटर सिक्योरिटी कंसल्टिंग फर्म की तरह काम करते हैं, जो किसी घातक सिस्टम या सॉफ्टवेयर से कंपनी के डाटा की सुरक्षा करते हैं। खुद को एक ब्लू हैट हैकर कहने वाले महिन्द्रा स्पेशल सर्विसेज ग्रुप (एमएसएसजी) के सीईओ रघु रामन कहते हैं कि जिन चीजों का आमतौर पर मिलना मुश्किल है उन्हें खोजना सचमुच रोमांचक होता है।
रघु जो खुद कई कंपनियों की सुरक्षा से जुड़ी कमियों को उजागर कर चुके हैं कहते हैं कि एक ब्लू हैट हैकर के लिए भी यह अनुभव उतना ही मजेदार होता है जितना कि एक हैकर के लिए। और सलाखों के पीछे जाने का भी कोई खतरा भी नहीं है। रघु इस तरह का अकेला उदाहरण नहीं हैं।
एप्पिन सिक्योरिटी ग्रुप के सीईओ और निदेशक रजत खरे भी इसी काम से जुड़े हैं और बताते हैं कि अब कंपनियां और सरकारें इन ‘नैतिक’ हैकरों के जरिए यह जानने की कोशिश करती हैं कि उनके नेटवर्क और सर्वर में अनाधिकृत प्रवेश के लिए हैकर किन उपायों का इस्तेमाल करते हैं और किन कमजोरियों की वजह से ऐसा मुमकिन होता है।
रजत कहते हैं कि यह बहुत कुछ वैसा ही है कि किसी बड़े अपराधी से बचने के लिए आपको एक ऐसा इंसान चाहिए, जो उसी की तरह सोच सकता हो। यही वजह है कि आजकल ब्लू हैट हैकरों की मांग बढ़ती जा रही है।