दिग्गज तकनीकी कंपनी गूगल ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि अंतरिम आदेश जारी कर उसे ‘सोशल मीडिया इंटरमीडियरी’ करार दिए जाने से बचाया जाए। गूगल ने अदालत के अप्रैल के उस आदेश का एक हिस्सा हटाने के लिए याचिका दायर की है, जिसमें गूगल के सर्च इंजन को ‘गलत’ तरीके से सोशल मीडिया की श्रेणी में डाल दिया गया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को नए सूचना प्रौद्योगिक नियम, 2021 का पालन करना होगा। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि खुद को सोशल मीडिया इंटरमीडियरी नहीं कहे जाने के गूगल सर्च इंजन के तर्क में दम हो सकता है।
गूगल के प्रवक्ता ने कहा, ‘सर्च इंजन इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री एवं सूचना दिखाता है। हालांकि हम सर्च नतीजों से आपत्तिजनक सामग्री लगातार हटाने की नीति अपनाते हैं। लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश कुछ निश्चित जिम्मेदारियां डाल देता है, जिससे गूगल सर्च गलत तरीके से सोशल मीडिया इंटरमीडियरी की श्रेणी में आ जाएगा।’
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अप्रैल में एक मामले में गूगल सर्च को ‘इंटरमीडियरी’ बताया था। इस मामले में एक महिला की तस्वीरें उसकी सहमति के बिना अश्लील वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई थीं और अदालत के आदेशों के बावजूद सामग्री को इंटरनेट से पूरी तरह हटाया नहीं जा सका। 20 अप्रैल के आदेश में ‘गूगल सर्च, याहू सर्च, माइक्रोसॉफ्ट बिंग, डकडकगो जैसे सर्च इंजनों को निर्देश दिया गया था कि वे ऑटोमेटेड टूल्स इस्तेमाल करने की कोशिश करें ताकि आपत्तिजनक मानी जाने वाली किसी भी सामग्री को पहचाना जा सके और उसके इस्तेमाल को दुनिया भर में रोका जा सके, जो सामग्री किसी अन्य वेबसाइट या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दिख सकती है।’
गूगल के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने आदेश के इस हिस्से के खिलाफ याचिका दायर की है और हम उम्मीद करते हैं कि हमें उन कदमों के बारे में बताने का मौका दिया जाएगा, जो हमने गूगल सर्च नतीजों से आपत्तिजनक सामग्री हटाने के लिए उठाए हैं।’ गूगल का कहना है कि सर्च इंजन की फेसबुक, इंस्टाग्राम या ट्विटर जैसी सोशल मीडिया इंटरमीडियरी से बिल्कुल अलग भूमिका होती है।
