ऑस्ट्रेलिया में काम करने वाली भारत की सूचना तकनीक (आईटी) कंपनियों के लिए राहत की बड़ी खबर है। ऑस्ट्रेलिया इस तरह की कंपनियों पर विदेशी आय पर कर रोकने के लिए घरेलू कानून में बदलाव करने को सहमत हो गया है। यह शनिवार को हुए मुक्त व्यापार समझौते का हिस्सा है। इससे ऑस्ट्रेलिया में काम कर रही भारत की 100 से ज्यादा टेक कंपनियों की सालाना 30 करोड़ डॉलर तक बचत हो सकती है।
वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया में टेक्निकल सेवाएं मुहैया कराने वाली भारतीय फर्मों की विदेश में होने वाली आमदनी पर कर को रोकने के लिए घरेलू कराधान कानून में संशोधन करने के लिए ऑस्ट्रेलिया सहमत हो गया है। भारत सरकार ने दोनों देशों के बीच दोहरे कराधान से बचने का मसला उठाया था और इस संशोधन से मसले का समाधान हो सकेगा।’
बहरहाल व्यापार समझौता और घरेलू ऑस्ट्रेलियाई कर कानूनों में बदलाव तभी प्रभाव में आएगा, जब ऑस्ट्रेलिया की संसद इसे मंजूरी दे देगी। यह ऑस्ट्रेलिया में मई में होने जा रहे आम चुनावों के बाद नई सरकार बनने पर ही हो सकेगा।
एक ही आमदनी पर दो करों के भुगतान से करदाता को बचाने के लिए दो या अधिक देशों होने वाला डीटीएए कर संधियां हैं। यह कर स्रोत देश के साथ आवास वाले देश दोनों में ही लगता है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1991 में हुए डीटीएए के दुरुपयोग के कारण ऑस्ट्रेलियाई प्राधिकारियों ने भारत की कंपनियों की विदेश में होने वाली कमाई पर कर लगा दिया था, जिसे रॉयल्टी आमदनी के रूप में दिखाया जा रहा था। उदाहरण के लिए अगर एक भारतीय आईटी कंपनी का एक ऑस्ट्रेलियाई ग्राहक है और उसका 50 प्रतिशत काम ऑस्ट्रेलिया और 50 प्रतिशत काम भारत में हो रहा है तो भारत में होने वाले काम पर ऑस्ट्रेलिया व भारत दोनों ही कर लेते थे। भारत की आईटी कंपनियां इसमसले पर ऑस्ट्रेलिया में पहले ही कानूनी लड़ाई हार चुकी थीं। 2018 में ऑस्ट्रेलिया के फेडरल न्यायालय में टेक महिंद्रा मुकदमा हार गई थी।
इस फैसले का स्वागत करते हुए नैसकॉम ने एक बयान में कहा है कि वह कई साल से इस बदलाव की वकालत कर रहा था और खुशी की बात है कि यह ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते का हिस्सा है। इसने कहा है, ‘भारत का टेक्नोलॉजी उद्योग ऑस्ट्रेलिया के उद्यमियों व सार्वजनिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। यह भारत और ऑस्ट्रेलिया में स्थित केंद्रों के माध्यम से होता है। नैसकॉम दोनों सरकारों के साथ काम जारी रखेगा और भरोसा है कि ऑस्ट्रेलिया के घरेलू कानून में आगामी संसद सत्र में जल्द बदलाव हो सकेगा।’
नैसकॉम के सीनियर डॉयरेक्टर गगन सभरवाल ने कहा कि दोहरा कराधान भारत की आईटी कंपनियो को ऑस्ट्रेलिया में अप्रतिस्पर्धी बना रहा था। उन्होंने कहा, ‘अब ऑस्ट्रेलिया के घरेलू कानूनों में संशोधन से यह सुनिश्चित होगा कि ऑस्ट्रेलिया में किए गए काम पर ऑस्ट्रेलिया में और ऑस्ट्रेलिया से बाहर किए गए काम पर कंपनियां वहां के स्थानीय कानून के मुताबिक करों का भुगतान करेंगी। ऑस्ट्रेलिया ने पहले ही अमेरिका, चीन और पोलैंड के लिए घरेलू कानून में इस तरह का बदलाव कर दिया है।’
उद्योग के अनुमान के मुताबिक भारत की आईटी कंपनियां मोटे तौर पर हर साल ऑस्ट्रेलिया से 4 से 8 अरब की कारोबारी आमदनी करती हैं। ऑस्ट्रेलियन ट्रेड ऐंड इन्वेस्टमेंट कमीशन के मुताबिक पिछले दशक के दौरान भारत की 5 प्रमुख आईटी कंपिनयों इन्फोसिस, विप्रो, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), टेक महिंद्रा और एचसीएल ने कारोबार बढ़ाया है और ऑस्ट्रेलियन सिक्योरिटीज एक्सचेंज की 100 शीर्ष कंपनियों में कई के साथ साझेदारी की है, जिनमें नैशनल ऑस्ट्रेलिया बैंक (एनएबी) और एनर्जी कंपनी एजीएल शामिल हैं। भारत की कंपनियों ने 2011 से बुनियादी ढांचे, मानव संसाधन, नई सेवाओं और आईसीटी उद्योग में उल्लेखनीय निवेश किया है, जब ऑस्ट्रेलिया सरकार ने भारतीय फर्मों को लुभाना शुरू किया था।
