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सैटेलाइट रेडियो पर विदेशी धुन

Last Updated- December 07, 2022 | 12:05 AM IST

भारतीय दूरसंचार नियामक आयोग (ट्राई) देश में सैटेलाइट रेडियो संचालन के लिए 74 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सिफारिश करने का इरादा बना रही है।


इसके साथ ही ट्राई कंपनियों के लिए कंटेंट और ट्रांसमिशन, दोनों के लिए लाइसेंस प्रणाली लागू करेगी। फिलहाल भारत में वर्ल्डस्पेस ही सैटेलाइट रेडियो ऑपरेटर है, लेकिन वह भी बगैर लाइसेंस के चल रही है, क्योंकि इस क्षेत्र के लिए वर्तमान में कोई गाइडलाइन उपलब्ध नहीं है।

ट्राई की सिफारिश में इस बात का भी जिक्र है कि ऑपरेटर से प्रवेश शुल्क के तौर पर एकबारगी 2.5 करोड़ रुपये शुल्क वसूला जाएगा, वहीं सालाना राजस्व का 4 फीसदी वार्षिक शुल्क वसूला जाएगा। लाइसेंस में इस बात का भी उल्लेख है कि रेडियो कंपनियां विज्ञापन के लिए एयरटाइम को नहीं बेच पाएंगी। यही नहीं, सर्विस प्रोवाइडर की ओर प्रसारित किए जाने वाले सभी चैनलों का पंजीकरण कराना होगा, वहीं दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो के समाचार को ही प्रसारित करने की अनुमति होगी।

ट्राई की इन सिफारिशों का असर वर्ल्डस्पेस रेडियो पर पड़ेगा, क्योंकि अब तक वह बिना लाइसेंस के कार्यक्रमों का प्रसारण कर रही थी। नई नीति के तहत अमेरिका स्थित इस कंपनी को अपने 100 फीसदी हिस्सेदारी को घटाकर 74 फीसदी करनी होगी। इसके साथ ही निजी समाचार चैनलों के प्रसारण को बंद करना होगा और प्रवेश शुल्क के तौर पर मोटी रकम का भुगतान करना पड़ेगा। यही नहीं, अपने सालाना राजस्व में से 4 फीसदी हिस्सा हर साल सरकार को देना पड़ेगा।

हालांकि वर्ल्डस्पेस कंपनी को घाटा उठाना पड़ रहा है, क्योंकि उसके ग्राहकों की संख्या घट रही है। वर्ष 20007 की अंतिम तिमाही तक कंपनी के उपभोक्ताओं की संख्या जहां 163,075 थी, वहीं वर्ष 2008 के अंतिम तिमाही में यह घटकर 162,026 रह गई है। इसकी वजह से कंपनी को वर्ष 2008 की अंतिम तिमाही में 14,720  रुपये का नुकसान हुआ है।

भारत में वर्ल्डस्पेस रेडियो की सेवा के लिए उपभोक्ताओं को शुल्क का भुगतान करना पड़ता है, जिसमें 40 रेडियो चैनल और 19 क्षेत्रीय भाषाओं के चैनल प्रसारित किए जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि नई नीति के लागू होने से टेलिविजन ब्रॉडकास्टर और एफएम रेडियो ऑपरेटर भी सैटेलाइट रेडियो के क्षेत्र में हाथ आजमा सकते हैं।

नई नीति के तहत सैटेलाइट रेडियो चलाने केलिए विदेशी कंपनियों को प्रवेश शुल्क के तौर पर 2.5 करोड़ रुपये और सालाना राजस्व का 4 फीसदी करना होगा भुगतान
कंपनियों को नहीं होगा विज्ञापन प्रसारण का अधिकार
निजी समाचार चैनलों के प्रसारण की नहीं होगी अनुमति

First Published - May 19, 2008 | 5:04 AM IST

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