भारत में दस्तक देने के इंतजार में बैठी विदेशी दूरसंचार कंपनियां 3जी और वाईमैक्स दूरसंचार लाइसेंस की बोली में हिस्सा ले सकेंगी।
एसोचैम के एक कार्यक्रम में दूरसंचार मंत्री ए राजा ने कहा कि दूरसंचार सेवाओं के दिशा निर्देश अगले महीने जारी कर दिए जाएंगे और विदेशी कंपनियां भी इस सेवा की पेशकश कर सकेंगी।
विदेशी कंपनियों को 3जी सेवाओं की पेशकश की अनुमति दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘चाहे खुली बोली लगाई जाए या सामान्य बोली, विदेशी कंपनियों को इससे अलग नहीं किया जाएगा।
भारतीय दूरसंचार कंपनियों में 74 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है और इस तरह के सहयोगी भी 3जी सेवाएं शुरू कर सकते हैं।’ राजा 3जी सेवाओं में विदेशी कंपनियों को अनुमति दिए जाने के मुद्दे पर शीघ्र ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ विचार विमर्श करेंगे।
उन्होंने बताया कि 3जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी की औपचारिकताओं को विधि मंत्रालय के पास भेज दिया गया है। इस घोषणा के साथ रजा ने कहा कि दूरसंचार कंपनियां इस साल के अंत तक या जनवरी 2009 तक ए सेवाएं शुरू कर सकती हैं। इसके लिए नए बुनियादी ढांचे की जरूरत नहीं होगी।
विदेशी कंपनियों को 3जी सेवाओं के लिए बोली लगाने की अनुमति देने की इस घोषणा का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) इससे इत्तेफाक नहीं रखता। ट्राई ने सुझाव दिया था कि केवल यूएएसएल लाइसेंस वाली कंपनियों को 3जी सेवाओं के लिए बोली लगाने की छूट दी जानी चाहिए। इन कंपनियों में मौजूदा मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियां और यूनीटेक, डाटाकॉम सॉल्युशंस (जिन्हें हाल ही में यह लाइसेंस दिया गया है) शामिल हैं।
ट्राई ने अपने सुझाव में कहा था कि 3जी स्पेक्ट्रम के लिए 25 मेगा हट्र्ज स्पेस उपलब्ध है और ऐसे में मैदान में पांच कंपनियों के लिए जगह होगी। सरकार के साथ वार्ता में यह निर्णय लिया गया था कि पांच मेगा हट्र्ज के पांच खंडों में से कम से कम एक तो बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी सरकारी कंपनियों के खाते में जाएंगी। बाकी के लिए नीलामी की व्यवस्था की जाएगी।
अब जब कि 3जी सेवा हासिल करने के लिए पहले से ही बाजार में 10 से 11 कंपनियां हैं तो मुकाबला कड़ा होना स्वभाविक है। दिलचस्प है कि रजा की इस घोषणा से एटी ऐंड टी जैसी कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां जो भारत में 3जी सेवा क्षेत्र में प्रवेश का बाट जोह रही हैं उनके लिए रास्ते खुल जाएंगे।
गौरतलब है कि दूरसंचार विभाग ने 3जी निर्देशों का मसौदा पहले ही जारी कर दिया है। दो कारणों के चलते थ्रीजी सेवाओं की शुरुआत काफी समय से लटकी हुई थी जिसमें ट्राई और दूरसंचार विभाग में मतभेद के अलावा रक्षा सेवाओं द्वारा स्पेक्ट्रम जारी किया जाना भी शामिल है।
विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी कंपनियों को बोली में भाग लेने की अनुमति देने से 3जी क्षेत्र में प्रतिस्पद्र्धा तो बढ़ेगी ही, ऐसा भी हो सकता है कि ऑपरेटर सेवाएं हासिल करने के लिए बढ़ चढ़कर बोली लगाने लगें।