मीडिया कंपनी डिज्नी-स्टार ने पाइरेसी में जुटे कुछ डिजिटल प्लेटफॉर्म के खिलाफ बेंगलूरु साइबर पुलिस के पास प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कराई है। मामला अहम है क्योंकि भारत में डिजिटल पाइरेसी बढ़ रही है।
बेंगलूरु पुलिस की साइबर सेल के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) संतोष राम ने एफआईआर दर्ज कराए जाने की पुष्टि की। यह एफआईआर तमिलएमवी, तमिलब्लास्टर्स, तमिलरॉकर्स और पिकाशो टीवी ऐप के खिलाफ दर्ज कराई गई है, जो लीक की गई टेलीविजन, ओवर द टॉप (ओटीटी) और फिल्म सामग्री अपने प्लेटफॉर्म पर दिखा रहे थे।
जब बिज़नेस स्टैंडर्ड ने संतोष राम से संपर्क किया तो उन्होंने बताया, ‘इन प्लेटफॉर्मों से कुल करीब 6.2 करोड़ लोग जुड़े होने का अनुमान है। वे आम तौर पर तमिल, तेलुगू और मलयालम सामग्री मुहैया कराते हैं, जो उनकी वेबसाइटों पर लीक हुई सामग्री है। पिछले कुछ समय से वे हिंदी समेत अन्य भाषाओं में भी सामग्री मुहैया करा रहे हैं। यह एफआईआर स्टार ने दर्ज कराई है। हम मामले की जांच कर रहे हैं।’
मीडिया उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि आम तौर पर ये पाइरेसी समूह अपनी सामग्री सीधे थियेटर और ओटीटी प्लेटफॉर्म से लेते हैं और अपनी वेबसाइटों और मोबाइल एप्लिकेशन पर रिलीज करते हैं। यह सामग्री टॉरेंट वेबसाइटों, थर्ड पार्टी साइबर लॉकर्स, यूजर जेनरेटेड प्लेटफॉर्म और ऑफशोर सर्वर के जरिये वितरित की जाती है।
तमिलएमवी, तमिलब्लास्टर्स और तमिलरॉकर्स पर तो पाइरेटेड फिल्में थियेटर में रिलीज होने के महज 24 घंटे के भीतर उपलब्ध करा दी गईं, जिससे निर्माताओं को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। दूसरी तरफ पिकाशो विदेशी सर्वर और साइबर लॉकर का इस्तेमाल कर प्रमुख प्रसारकों और ओटीटी की सामग्री को एग्रीगेट करती है। यह सामग्री डाउनलोड ऑफलाइन मोड में भी देखी जा सकती है।
स्टार इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी तकनीकी टूल, सामग्री की पाइरेसी करने वालों को कानूनी नोटिस जारी कर और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर पाइरेसी से लड़ रही है।
प्रवक्ता ने कहा, ‘हमें पाइरेसी का नया रूप नजर आ रहा है। यह पाइरेसी ऐंड्रॉयड ऐप के जरिये हो रही है। इनका पता लगाना भी मुश्किल है। हाल में स्टार की तरफ से दायर एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र साइबर अपराध इकाई ने एक फर्जी ऐप थॉपटीवी को हटवाया। विभिन्न राज्यों में प्रवर्तन एजेंसियां इस समस्या से निपटने को लेकर गंभीर हैं, जो भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा रही है।’
हाल में ब्रिटेन की डिजिटल रिसर्च टीवी की एक रिपोर्ट में इस साल भारत में पाइरेसी से ओटीटी कंपनियों को 3.08 अरब डॉलर (23,000 करोड़ रुपये) के नुकसान का अनुमान जताया गया है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि फिल्मों, टेलीविजन और ओटीटी सामग्री की पाइरेसी से कुल नुकसान सालाना 50,000 करोड़ रुपये के आसपास है क्योंकि पिछले कुछ साल के दौरान वेबसाइटों, फाइल शेयरिंग प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप्लिकेेशन के जरिये लीक सामग्री तक पहुंचना आसान हो गया है।
