सरकार ने सार्वजनिक परामर्श के लिए आज डेटा नीति का मसौदा जारी किया। इसमें कहा गया है कि सभी संग्रहित और सरकार के प्रत्येक मंत्रालय और विभाग द्वारा जुटाए गए डेटा सभी के लिए उपलब्ध होगा और कुछ अपवादों को छोड़कर उसे साझा किया जा सकता है। इसके साथ ही विस्तृत डेटासेट का मूल्यवर्धन कर उसे सरकार द्वारा मुद्रीकरण भी किया जा सकता है।
नीति दस्तावेज – भारत में डेटा तक पहुंच और उपयोग की नीति 2022 के मसौदे में कहा गया है कि इसके लिए भारतीय डेटा परिषद (आईडीसी) नाम से एक नियामक प्राधिकरण होगा और भारतीय डेटा कार्यालय (आईडीओ) नाम से एजेंसी बनाई जाएगी जो डेटा साझेदारी के मानक और प्रवर्तन की रूपरेखा तैयार करेंगे। भारतीय डेटा परिषद में भारतीय डेटा कार्यालय और पांच सरकारी विभागों के डेटा अधिकारी शामिल होंगे। भारतीय डेटा कार्यालय का गठन इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत किया जाएगा। आईडीसी के कार्यों में उच्च मूल्य वाले डेटासेट को परिभाषित करना, डेटा मानदंड का अंतिम रूप देना और मानक तैयार करना तथा नीति की समीक्षा एवं उसका क्रियान्वयन करना शामिल होगा। आईडीसी में विभागों और राज्य सरकार के नामितों को क्रमिक आधार पर शामिल किया जाएगा और एक विभाग का कार्यकाल दो साल का होगा।
मसौदा नीति के अनुसार स्टार्टअप, उपक्रम और शोधार्थी जैसे हितधारक डेटा लाइसेंसिंग, साझेदारी और मूल्यांकन के लिए निर्धारित व्यवस्था के जरिये डेटा सुरक्षा एवं गोपनीयता प्रारूप के तहत उसका उपयोग करने में सक्षम होंगे।
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक अपार गुप्ता ने कहा, ‘इस नीति का मुख्य उद्देश्य विशुद्घ रूप से राजस्व अर्जित करने का प्रतीत होता है। इसमें कई चीजों में स्पष्टता का अभाव है, जैसे कि उच्च मूल्य वाले डेटासेट को किस तरह से परिभाषित किया जाएगा। यह देखना होगा कि जब सरकार वाहन पंजीकरण के डेटा को बेचने का प्रयास करती है तब क्या होगा। इसके दुरुपयोग के कारण इस नीति को वापस लिया जा सकता है।’
नीति प्रारूप के अनुसार प्रत्येक केंद्रीय मंत्रालय एवं विभाग को अपने क्षेत्र से संबंधित डेटा मानदंड प्रकाशित करना होगा। यह मानदंड ई-गॉव स्टैंडर्ड पोर्टल पर प्रकाशित डेटा मानक एवं अन्य प्रासंगिक दिशानिर्देशों के अनुरूप होना चाहिए। सभी क्षेत्रों के डेटा मानदंड को आईडीसी द्वारा अंतिम रूप दिया जाएगा और इसके तैयार होने पर सभी संबंधित मंत्रालयों और सरकारी विभागों द्वारा अपनाया जाएगा।
विशेषज्ञों ने कहा कि मसौदा नीति की पृष्ठभूमि में व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा विधेयक और गैर-व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा प्रारूप का जिक्र किया गया है, लेकिन मसौदे में इसे लेकर स्पष्टता नहीं है। लॉ फर्म टेकलेगिस में पार्टनर सलमान वारिस ने कहा, ‘विभिन्न खबरों को देखें तो प्रतीत होता है कि संयुक्त संसदीय समिति की दिसंबर की रिपोर्ट के बाद सरकार डेटा सुरक्षा विधेयक को मौजूदा प्रारूप में रद्द कर सकती है, क्योंकि समिति ने इसमें गैर-व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा ढांचा भी शामिल करने की जरूरत बताई है।’
