वीडियो गेम से लेकर प्लेस्टेशन और एक्सबॉक्स सरीखे कंसोल तक सभी के साथ एक बड़ा वर्ग जुड़ा हुआ है और अब बॉलीवुड इसी वर्ग में अपनी पैठ बनाने की तैयारी कर रहा है।
बॉलीवुड की सबसे पुरानी और रोमांटिक फिल्म ‘देवदास’ भी अब ऐनिमेशन के साथ मोबाइल फोन गेम के रूप में देखने को मिलेगी। भारत में ऐनिमेशन और गेमिंग का उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, जिस वजह से बॉलीवुड को कमाई का एक और रास्ता नजर आने लगा है।
कुछ ही हफ्ते पहले फिल्म वितरक कंपनी इरोज इंटरनैशनल पीएलसी ने ‘गजनी’ फिल्म पर आधारित देश की सबसे पहली 3डी वीडियोगेम पेश की है। ‘गजनी’ की ही तर्ज पर हाल में ‘देवदास’ के नए वर्जन ‘देव डी’ को मुंबई में मोबाइल फोन गेम के रूप में पेश किया गया है।
‘देव डी’ शरद चंद्र चट्टोपाध्याय के बेहतरीन उपन्यास देवदास पर आधारित है। इससे पहले भी इस उपन्यास पर अलग-अलग भाषाओं में कई फिल्में बनाई जा चुकी हैं। इस मोबाइल फोन गेम को खेलने वाले फिल्म केनायक के रूप में खुद को महसूस कर सकते हैं।
इस फिल्म की एक अभिनेत्री माही गिल का कहना है, ‘इस फिल्म के साथ हर व्यक्ति फिर चाहे वह लड़की हो या लड़का, खुद को जुड़ा महसूस करेगा और वह देव का किरदार अपनाकर इस खेल का मजा ले सकता है।’
फिल्म ‘देव डी’ एक अमीर आदमी खुद पर तरस खाने से लेकर खुद को खोजने की कहानी है। इसका निर्देशन कई हिट फिल्में बना चुके अनुराग कश्यप ने किया है। गिल का कहना है, ‘आज दर्शक खुद को फिल्म से जोड़ सकते हैं क्योंकि फिल्में काफी वास्तविक लगती हैं।’
फिल्म निर्माताओं ने असली ‘देवदास’ की घटनाओं और पात्रों को सामयिक परिस्थितियों में ढालकर कहानी को बदला नहीं है। साथ ही यह फिल्म इसी महीने में रिलीज होने को तैयार है। बॉलीवुड पर आधारित यह दूसरी भारतीय गेम है।
फिल्मों की संख्या के नजरिये से देखा जाए तो बॉलीवुड दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है और ये मोबाइल फोन गेम भी ऐसे समय में बाजार में उतारी गई हैं, जब भारतीयों के पास खर्च लायक अधिक पैसा है।
मौजूदा समय में भारतीय ऐनिमेशन और गेमिंग कंपनियां सातवें आसमान पर हैं और अपने उत्पादों के मालिकाना हक के लिए वे दावा कर रही हैं। इसके अलावा वे कॉपीराइट और मुनाफे को विदेशी कंपनियों के साथ बांट भी रही हैं। उद्योग जगत की शीर्ष संस्था नैसकॉम का कहना है कि ऐनिमेशन और गेमिंग का बाजार इस साल 1.3 अरब डॉलर का हो जाएगा।
देवदास के 80 साल
सबसे पहली ‘देवदास’ 1928 में बनने वाली मूक फिल्म थी, जिसका निर्देशन नरेश मिश्र ने किया।
दूसरी ‘देवदास’ 1935 में प्रमातेश चंद बरुआ ने बांग्ला में बनाई।
तीसरी ‘देवदास’ 1936 में बनाई गई, जिसका निर्देशन प्रमातेश चंद बरुआ ने किया और हिंदी में बनी इस फिल्म में देवदास का किरदार के. एल. सहगल ने निभाया।
चौथी ‘देवदास’ 1955 में बनी, जिसका निर्देशन बिमल रॉय ने किया और इस फिल्म में देवदास के मुख्य किरदार में थे ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार।
पांचवीं ‘देवदास’ 2002 में संजय लीला भंसाली ने बिग बजट फिल्म के रूप में बनाई, जिसमें देवदास की भूमिका निभाई शाह रुख खान ने।
अब तक बांग्ला, हिंदी, तमिल, तेलुगू और असमिया भाषा में कुल 9 फिल्में इस उपन्यास पर बनाई जा चुकी हैं।
2009 में रिलीज होने वाली अनुराग कश्यप की ‘देव डी’ में अभय देओल ने अभिनय किया है।
इसके अलावा 2009 में शरद चंद के उपन्यास की ही कुछ घटनाओं पर आधारित सुधीर मिश्रा की ‘और देव’ के रिलीज होने की उम्मीद है, जिसमें भी लारा दत्ता, चित्रांग्दा और शाईनी आहूजा भी दिखाई देंगे।