कभी आपने सोचा है कि आपके मोबाइल फोन से गया एसएमएस अगर सही जगह नहीं पहुंचा है यानी डिलीवर नहीं हुआ है, तो उसका शुल्क आपको क्यों देना पड़ता है? नहीं न।
लेकिन एकाधिकार एवं प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार आयोग (एमआरटीपीसी) को यह बात अखरी है और इसीलिए उसकी जांच शाखा ने दस बड़े मोबाइल ऑपरेटरों के खिलाफ पड़ताल शुरू कर दी है। इनमें सरकारी मोबाइल ऑपरेटर भी शामिल हैं।
जांच एवं पंजीकरण महानिदेशालय ने यह जांच एक ग्राहक की शिकायत के बाद शुरू की है। ग्राहक का कहना था कि मोबाइल ऑपरेटर उस एसएमएस के लिए भी पैसा वसूल रहे हैं, जिसे वे संबंधित नंबर तक नहीं पहुंचाते हैं।
इस मामले में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘हमने दो महीने पहले जांच शुरू की थी। हमें मोबाइल ऑपरेटरों से जवाब मिल रहे हैं।’ यदि जांच में पता चलता है कि व्यापार के गलत तरीके अपनाए जा रहे हैं, तो दसों मोबाइल ऑपरेटरों के खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है।
उसके बाद एमआरटीपीसी ही मामले पर फैसला करेगी। अधिकारी ने कहा कि मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले इतने ज्यादा हैं कि अगर डिलीवर नहीं होने वाले एसएमएस की संख्या कम होगी, तब भी उनके एवज में मिलने वाला शुल्क बहुत ज्यादा हो जाएगा। देश में फिलहाल लगभग 39.2 करोड़ मोबाइल ग्राहक हैं, जिनमें हर महीने 1 करोड़ की बढ़ोतरी हो रही है।
एमआरटीपीसी की जांच शाखा ने मोबाइल कंपनियों को भेजे नोटिस में उनसे सर्वर की क्षमता और दीवाली तथा नए साल जैसे मौकों पर मिलने वाले एसएमएस की संख्या मांगी है। कंपनियों से पूछा गया कि औसतन कितने एसएमएस डिलीवर नहीं होते हैं और कंपनी उनका पता किस तरह लगाती है।
एसएमएस को मूल्य वर्द्धित सेवा माना जाता है और ऑपरेटरों की कुल कमाई में 10 फीसदी हिस्सेदारी इसी की है। मूल्य वर्द्धित सेवाओं से होने वाली कमाई में भी 35 फीसदी योगदान एसएमएस का ही होता है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और सलाहकार फर्म बीडीए के आंकड़ों के मुताबिक 2010 में ऑपरेटरों को इन सेवाओं से होने वाली कमाई लगभग 274 करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगी। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अनुमान है कि 2012 तक इन सेवाओं की कमाई में 30 फीसदी बढ़ोतरी होगी।
जीएसएम ऑपरेटरों की ओर से एक वकील ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनियों को शिकायतों की जानकारी दे दी गई है और उनकी ओर से एमआरटीपीसी को सवालों के जवाब अब तक मिल गए होंगे।
उसने कहा, ‘कंपनियों ने यह कहा होगा कि एसएमएस भेजने के साथ ही ऑपरेटरों का काम खत्म हो जाता है और संदेश को सही जगह तक पहुंचाने की वे हरमुमकिन कोशिश करते हैं। लेकिन जिस व्यक्ति को एसएमएस भेजा गया है, बार-बार के प्रयास में यदि उसका फोन बंद मिलता है या कवरेज क्षेत्र से बाहर मिलता है, तो ऑपरेटर कुछ नहीं कर सकता।’
वकील ने यह भी कहा कि कंपनियों के जवाब पर एमआरटीपीसी विचार करेगी और उसके बाद शिकायतों का निपटारा हो सकता है या कंपनियों से और ब्योरा मांगा जा सकता है। इस बीच जांच महानिदेशक ने ट्राई को भी इस बारे में लिखित सूचना दे दी है। लेकिन ट्राई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऐसी कोई सूचना अभी नहीं मिली है।
कैसे नहीं पहुंचेगा संदेश
एसएमएस की डिलीवरी नहीं होने और पैसा लेने पर एमआरटीपीसी सख्त
10 मोबाइल ऑपरेटरों से मांगा बिना डिलीवरी वाले एसएमएस का ब्योरा
गड़बड़ लगी तो दर्ज हो सकता है मामला
ऑपरेटर झाड़ रहे हैं डिलीवरी के मामले से पल्ला
