स्पेक्ट्रम आवंटन के दौरान प्रतिस्पर्धा बढ़ने से आय में इजाफा होने के मद्देनजर दूरसंचार विभाग 3जी दूरसंचार सेवा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों समेत अतिरिक्त कंपनियों को अनुमति दे सकता है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने कहा है कि फिलहाल एक सर्कल में करीब 9 से 10 मोबाइल परिचालक हैं। अगर और कंपनियां मैदान में हों तो 3जी स्पेक्ट्रम के आवंटन के दौरान सरकार को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति हो सकती है।
यह पूछने पर कि क्या अतिरिक्त कंपनियों में विदेशी कंपनियां भी हो सकती हैं सूत्रों ने कहा कि विदेशी कंपनियां 3जी स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगा सकती हैं बशर्ते उनके भारतीय भागीदार हों क्योंकि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सिर्फ 74 फीसदी तक ही हो सकता है।
संभावना है कि दूरसंचार विभाग अगले 10 दिनों में 3जी दूरसंचार सेवाओं के मामले में अंतिम दिशानिर्देश जारी करेगा। यह ट्राई की सिफारिशों के ठीक उलट है जिसमें कहा गया था कि फिलहाल विदेशी कंपनियों को 3जी सेवाओं में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए नहीं तो भारतीय दूरसंचार क्षेत्र पर इसका गंभीर असर हो सकता है। ट्राई के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा ने हाल ही में विदेशी कंपनियों के प्रवेश के मामले में वित्त मंत्रालय को भी आगाह किया था।
मिश्रा ने वित्त सचिव डी सुब्बाराव को लिखे पत्र में कहा था ‘प्राधिकार को लगता है कि फिलहाल 3जी सेवाओं के लिए नए संभावित सेवा प्रदाताओं को अनुमति देने से भारतीय दूरसंचार क्षेत्र पर गंभीर असर हो सकते हैं।
हो सकता है कि आप इस मामले में मंत्रालय का दृष्टिकोण तय करने से पहले इस पर फिर विचार करना चाहें।’ पिछले महीने ट्राई ने दूरसंचार विभाग के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था जिसमें 3जी दूरसंचार सेवा पेश करने के लिए विदेशी कंपनियों को अनुमति देने के प्रावधान पर पुनर्विचार करने की बात कही गई थी। ट्राई ने कहा था कि मौजूदा कंपनियां ज्यादा जल्दी नेटवर्क प्रदान कर सकती हैं।
ट्राई ने 3जी सेवाओं के लिए नई कंपनियों को मंजूरी देने के मामले में कहा था ‘क्योंकि मौजूदा लाइसेंसी पहले ही बुनियादी ढांचे में भारी निवेश कर चुके हैं और उनका तंत्र काम कर रहा है इसलिए वे कम कीमत पर अच्छी तरह 3जी सेवाएं प्रदान करने की बेहतर स्थिति में होंगे।’