नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल के आरोपों को खारिज करते हुए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि हवाईअड्डों के आधुनिकीकरण में हो रही देरी के लिए आयोग जिम्मेवार नहीं है।
अहलूवालिया ने कहा कि आधुनिकीकरण की सरकारी परियोजनाएं एक प्रक्रिया के तहत चलती हैं, इस वजह से यह कहना कि आयोग इन कार्यों में विलंब का जिम्मेवार है सरासर गलत है। दिल्ली हवाईअड्डा परियोजना के बारे में अहलूवालिया की समीक्षा के कारण नागर विमानन मंत्रालय के साथ उनका वाक् युध्द शुरू हो गया है।
उन्होंने बताया कि पटेल ने उन्हें पत्र लिखकर कुछ मुद्दों को उठाया है। चेन्नई और कोलकाता हवाईअड्डे की आधुनिकीकरण परियोजना में देरी के लिए आयोग को जिम्मेवार ठहराने के आरोप पर उन्होंने कहा कि यह कहना सही नहीं होगा कि आयोग द्वारा उठाए गए सवालों की वजह से विलंब हो रहा है।
गौरतलब है कि अहलूवालिया ने दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा के आधुनिकीकरण में जुटे जीएमआर समूह की कंपनी को बुलावा भेजा था। इससे नाराज होकर पटेल ने मंगलवार को अहलूवालिया को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण में योजना आयोग के अधिकारियों के रवैये के कारण विलंब हो
रहा है।
अहलूवालिया ने समीक्षा के लिए जो बैठक की थी, उसमें दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के अलावा, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और गृह मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल थे। इस बैठक का जिक्र करते हुए अहलुवालिया ने कहा, ‘मैंने जो समीक्षा की वह नियमित काम का हिस्सा थी। योजना आयोग के प्रबंधन का यह एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।’
वहीं पटेल ने अपने पत्र में कहा था कि कोलकाता और चेन्नई हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण को प्रधान मंत्री के नेतृत्व वाली आधारभूत संरचना समिति की मंजूरी मिल जाने के बाद भी इस परियोजना में देरी हो रही है।
इस पत्र का जवाब देते हुए अहलूवालिया ने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र की किसी परियोजना पर काम कैसे चल रहा है, इसके बारे में विभिन्न मंत्रालयों का एक खास नजरिया होता है। यह प्रक्रिया खुद में काफी परिभाषित होती है। साथ ही मंजूरी के लिए इसे तमाम प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद कैबिनेट की मंजूरी भी लेनी होती है।’
हाल ही में जब अहलूवालिया ने दिल्ली हवाई अड्डा पर यात्रियों को विलंब के कारण हो रही असुविधा पर सवाल उठाया था तो पटेल का कहना था कि यात्रियों को यह असुविधा कर्मचारियों की कमी के कारण होती है।