देश की शीर्ष आईटी कंपनियों ने वैश्विक महामारी के बाद की अवधि में स्टॉक एक्सचेंज पर दमदार प्रदर्शन किए हैं। मार्च 2020 के बाद शीर्ष पांच आईटी कंपनियों- टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजिज और टेक महिंद्रा- के एकीकृत बाजार पूंजीकरण में 87 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके मुकाबले बेंचमार्क बीएसई सेंसेक्स में इस दौरान महज 68 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। इस प्रकार आईटी उद्योग ने पिछले एक साल के दौरान व्यापक बाजार को एक बड़े अंतर के साथ पछाड़ दिया।
शीर्ष पांच आईटी कंपनियों का एकीकृत बाजार पूंजीकरण अब बढ़कर 23.2 लाख करोड़ रुपये हो चुका है जो वित्त वर्ष 2020 के अंत में 12.42 लाख करोड़ रुपये रहा था। इस क्षेत्र की सभी सूचीबद्ध कंपनियों के एकीकृत बाजार पूंजीकरण में इन पांच बड़ी आईटी कंपनियों का योगदान करीब 90 फीसदी है। वास्तव में मार्च 2021 में समाप्त वित्त वर्ष शेयर बाजार में प्रदर्शन के लिहाज से आईटी कंपनियों के लिए वित्त वर्ष 2010 के बाद सबसे अच्छा वर्ष रहा। वित्त वर्ष 2010 में पिछले महीनों के दौरान आईटी उद्योग ने 150 फीसदी की वृद्धि दर्ज की थी।
हालांकि वैश्विक महामारी के बाद की अवधि में आईटी शेयरों में आई जबरदस्त तेजी वित्त वर्ष 2021 में कंपनी की आय अथवा राजस्व में वृद्धि के अनुरूप नहीं है। आईटी क्षेत्र को वित्त वर्ष 2021 में विनिर्माण कंपनियों की तरह कारोबार का कोई खास नुकसान नहीं हुआ। आईटी कंपनियां कमजोर आधार और लागत में बचत जैसे उपायों के बल पर राजस्व और मुनाफे में एकल अंक की वृद्धि दर्ज करने में सफल रहीं।
परिणामस्वरूप, अब आईटी कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन और शेयर बाजार में उनके रिकॉर्ड मूल्यांकन के बीच एक बड़ा अंतर दिख रहा है। शीर्ष पांच आईटी कंपनियां अब वित्त वर्ष 2021 में अपने शुद्ध मुनाफे के लगभग 30 गुना पर कारोबार कर रही हैं जो पिछले साल मार्च के अंत में 17 गुना के मुकाबले काफी अधिक है। ऐतिहासिक आंकड़ों से पता चलता है कि उद्योग का वर्तमान मूल्यांकन पिछले 15 वर्षों के शीर्ष स्तर पर है और करीब 20 गुना के ऐतिहासिक औसत मूल्यांकन अनुपात के मुकाबले करीब 50 फीसदी अधिक है।
स्टॉक एक्सचेंज पर अपने दमदार प्रदर्शन के विपरीत शीर्ष आईटी कंपनियां वित्त वर्ष 2021 में आय वृद्धि के मोर्चे पर कमजोर रहीं। शीर्ष पांच आईटी कंपनियों के एकीकृत शुद्ध मुनाफे में वित्त वर्ष 2021 के दौरान सालाना आधार पर महज 6.2 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि पिछले विर्ष के दौरान गैर-आईटी कंपनियों के शुद्ध लाभ में 34 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। इन कंपनियों की एकीकृत शुद्ध बिक्री में पिछले वित्त वर्ष के दौरान महज 5.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जबकि वित्त वर्ष 2020 में यह आंकड़ा 8.7 फीसदी रहा था। यह भारतीय उद्योग जगत द्वारा दर्ज राजस्व वृद्धि के मुकाबले अधिक थी। वित्त वर्ष 2021 में गैर-आईटी कंपनियों की एकीकृत शुद्ध बिक्री में 3.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
वास्तव में वित्त वर्ष 2021 के दौरान आईटी उद्योग की आय वृद्धि पिछले 15 वर्षों में तीसरी सबसे खराब वृद्धि रही जबकि राजस्व वृद्धि ऐतिहासिक तौर पर दूसरी सबसे खराब वृद्धि रही। इससे आईटी क्षेत्र में तेजी और कंपनियों के मूल्यांकन में रिकॉर्ड ऊंचाई पर सवाल खड़े होते हैं।