facebookmetapixel
दूसरे चरण के लोन पर कम प्रावधान चाहें बैंक, RBI ने न्यूनतम सीमा 5 फीसदी निर्धारित कीभारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर जल्द सहमति की उम्मीद, ट्रंप बोले—‘हम बहुत करीब हैं’बीईई के कदम पर असहमति जताने वालों की आलोचना, मारुति सुजूकी चेयरमैन का SIAM के अधिकांश सदस्यों पर निशानाइक्जिगो बना रहा एआई-फर्स्ट प्लेटफॉर्म, महानगरों के बाहर के यात्रियों की यात्रा जरूरतों को करेगा पूरासेल्सफोर्स का लक्ष्य जून 2026 तक भारत में 1 लाख युवाओं को एआई कौशल से लैस करनाअवसाद रोधी दवा के साथ चीन पहुंची जाइडस लाइफसाइंसेजQ2 Results: ओएनजीसी के मुनाफे पर पड़ी 18% की चोट, जानें कैसा रहा अन्य कंपनियों का रिजल्टअक्टूबर में स्मार्टफोन निर्यात रिकॉर्ड 2.4 अरब डॉलर, FY26 में 50% की ग्रोथसुप्रीम कोर्ट के आदेश से वोडाफोन आइडिया को एजीआर मसले पर ‘दीर्घावधि समाधान’ की उम्मीदछोटी SIP की पेशकश में तकनीकी बाधा, फंड हाउस की रुचि सीमित: AMFI

डिजिटल बाजार में विलय का नियंत्रण करना एक चुनौती : सीसीआई अध्यक्ष

Last Updated- December 11, 2022 | 10:55 PM IST

विलय का आकलन करते समय डेटा का हिसाब-किताब करना भारतीय प्रतिस्पद्र्धा आयोग (सीसीआई) के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि बड़े प्लेटफॉर्म बाजार की अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए पूरक डेटा एकत्र करने की संभावित प्रेरणा के साथ अपनी रुचि के दायरे का विस्तार करते हैं। भारतीय प्रतिस्पद्र्धा आयोग के अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने शुक्रवार को यह विचार व्यक्त किए।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए गुप्ता ने कहा कि इंटरनेट पर बाजार की ताकत का आकलन करने में डेटा एक महत्त्वपूर्ण कारक होता है। उन्होंने कहा कि न तो सभी डिजिटल बाजार एक जैसे होते हैं और न ही सारा डेटा एक जैसा होता है, इसलिए प्रौद्योगिकी बाजार में विलय की समीक्षा में हस्तक्षेप के लिए प्रतिस्पर्धा की चिंताओं के विशिष्ट मामले पर आधारित आर्थिक साक्ष्य से निर्देशित किए जाने की आवश्यकता है।
इस वैश्विक महामारी की शुरुआत के बाद से इस स्पर्धारोधी विनिनयामक ने वित्त, फार्मास्यूटिकल, स्वास्थ्य सेवा, बिजली और डिजिटल बाजार जैसे क्षेत्रों में विलय के 140 मामलों पर विचार-विमर्श कर चुका है। गुप्ता ने कहा कि कार्यक्षेत्रों के नए जमाने के बाजारों से उत्पन्न होने वाले मामलों में लगातार वृद्धि देखी गई है, जिनमें सर्च इंजन, ऑनलाइन मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म, ऐप स्टोर, पेमेंट गेटवे, ऑनलाइन ट्रैवल, खाद्य एग्रीगेटर, कैब एग्रीगेटर और सोशल नेटवर्किंग शामिल हैं।
गुप्ता ने कहा कि खोज के पूर्वाग्रह, अत्यधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण, बहुत अधिक छूट, आत्म-वरीयता तथा लाभ उठाने वाले मामलों का प्रतिस्पर्धा की कानून व्यवस्था के साथ सीधा संबंध होता है।इससे गुप्ता ने पहले कहा था कि कुछ डिजिटल कंपनियों द्वारा डेटा के आधिपत्य से ‘अटेंशन इकोनॉमी’ पैदा हो सकती है, जिसमें बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां उपयोगकर्ता का ध्यान आकर्षित करने, उनकी पसंद और आदतों के प्रोफाइल बनाने और फिर उन प्रोफाइलों को विज्ञापनदाताओं को बेचने का काम करती हैं।
सीसीआई इन बाजारों के घटनाक्रम से अवगत रहने का प्रयास कर रहा है तथा लगातार उपकरणों को विकसित और परिष्कृत कर रहा है। गुप्ता ने कहा कि इससे समय पर हस्तक्षेप करने तथा अच्छा संतुलन बनाने में मदद मिलेगी ताकि दक्षता और नवीनता न दब जाए तथा बाजार प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं से मुक्त रहे। हितधारकों संग परामर्श करते हुए सीसीआई सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप स्वयं को व्यवस्थित करने के लिए एक गोपनीयता व्यवस्था शुरू करने की प्रक्रिा में है।

First Published - December 11, 2021 | 12:03 AM IST

संबंधित पोस्ट