सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग में इन दिनों एक नया नाम लोगों की जुबां पर है, वह है- क्लाउड कंप्यूटिंग।
वैसे भारत में इसे अपनी मौजूदगी दर्ज करने में अभी दो साल का समय लग सकता है। इस तकनीक को अमल में लाए जाने के रास्ते में पर्याप्त बैंडविड्थ का अभाव, नेटवर्क त्रुटि, वर्चुअलाइजेशन से संबद्ध समस्याएं और सुरक्षा चिंताएं बाधक बनी हुई हैं।
आखिर क्लाउड कंप्यूटिंग है क्या? दरअसल यह इंटरनेट-आधारित प्रक्रिया और कंप्यूटर ऐप्लीकेशन का इस्तेमाल है। गूगल एप्स क्लाउड कंप्यूटिंग का एक उदाहरण है जो बिजनेस ऐप्लीकेशन ऑनलाइन मुहैया कराता है और वेब ब्राउजर का इस्तेमाल कर इस तक पहुंचा जा सकता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग कंपनियों के प्रौद्योगिकी खर्च में कमी लाता है, क्योंकि इसे संबद्ध ऐप्लीकेशन सदस्यता शुल्क चुका कर ऑनलाइन के जरिये किराए पर लिया जा सकता है। डाटाक्राफ्ट एशिया के वरिष्ठ महा प्रबंधक (सिक्युरिटीज ऐंड स्टोरेज) ली एन टैन ने कहा, ‘एशिया प्रशांत क्षेत्र, जिसमें भारत भी शामिल है, में इसे लेकर सबसे बड़ी चुनौती पर्याप्त नेटवर्क बैंडविड्थ की उपलब्धता की है। यदि नेटवर्क के लिए कंप्यूटिंग जरूरतों को दुरुस्त बनाना है तो क्लाउड कंप्यूटिंग के लिए उपयुक्त बैंडविड्थ की जरूरत होगी।’
तकनीकी जानकारों का कहना है कि भारत में औसतन बैंडविड्थ 256 केबीपीएस है। ली ने कहा कि नेटवर्क का बेहतर इस्तेमाल या फिर उपलब्ध नेटवर्क के अधिक दक्षतापूर्ण इस्तेमाल क्लाउड कंप्यूटिंग के लिए जरूरी होगा।
उन्होंने कहा, ‘उपभोक्ताओं को सेवाएं मुहैया कराने के लिए नेटवर्क का बेहतर इस्तेमाल बेहद अहम होगा। यह तकनीक एशिया के लिए बिल्कुल उपयुक्त है जहां हरेक क्षेत्र में ब्रॉडबैंड कनेक्शन नहीं है।’
लेकिन इस तकनीक को अमल में लाए जाने से पहले इसे व्यापक तौर पर स्वीकार्य बनाए जाने की जरूरत है। ली ने कहा, ‘वर्चुअलाइजेशन की पैठ भारत और एशिया प्रशांत क्षेत्र में 3 फीसदी और 15 फीसदी के बीच है। इस तकनीक की स्वीकार्यता काफी हद तक आईटी फर्म की परिपक्वता पर निर्भर करती है।’
सेल्सफोर्स डॉट कॉम के निदेशक पीटर कॉफी कहते हैं कि तकनीकी बाधा सुरक्षा को लेकर भी है, क्योंकि इंटरनेट के उपयोगकर्ता वेब पर जानकारी डालने से डरते हैं। विप्रो के एक प्रवक्ता ने बताया कि, ‘आने वाले लंबे समय में कंपनियां पेशकश की परिपक्वता, सुरक्षा चिंताओं, अनुकूलन और समेकन जरूरतों आदि जैसी चिंताओं को लेकर क्लाउड कंप्यूटिंग को अपनाने से परहेज करेंगी।’
क्लाउड कंप्यूटिंग तकनीक समय की बचत, इन्फ्रास्ट्रक्चर लागत में कमी, डाटा भंडारण में सुगमता, ऐप्लीकेशन प्रबंधन खर्च आदि में अहम भूमिका निभाती है।