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5जी प्राइवेट नेटवर्क में हिस्सेदारी की जंग

Last Updated- December 11, 2022 | 5:22 PM IST

दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि उनके कुल मोबाइल राजस्व में 5जी कारोबार का योगदान 40 फीसदी से अधिक हो सकता है। ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) का अनुमान है कि स्पेक्ट्रम दिए जाने के बाद 150 से अधिक निजी वायरलेस नेटवर्क के चालू होने की गुंजाइश है।
यह एक बड़ा और तेजी से बढ़ता हुआ संभावित बाजार है। यही कारण है कि दूरसंचार कंपनियों से लेकर वैश्विक एवं  घरेलू प्रौद्योगिकी कंपनियों तक सभी इसमें अधिक से अधिक हिस्सेदारी हासिल करने की होड़ में हैं।
दूरसंचार विभाग के रुख को पलटते हुए केंद्रीय कैबिनेट के अप्रत्याशित निर्णय के कारण 5जी प्राइवेट नेटवर्क में हिस्सेदारी के लिए दूरसंचार कंपनियों और प्रौद्योगिकी कंपनियों के बीच जंग की धार कहीं तेज हो गई है। इसके तहत भारत में कंपनियों को औद्योगिक क्रांति 4.0 की ओर रफ्तार देने के लिए एक निर्धारित मूल्य पर सीधे स्पेक्ट्रम हासिल करते हुए प्राइवेट कैप्टिव नेटवर्क स्थापित करने की अनुमति दी गई है।
आईटीसी, एलऐंडटी टेक्नोलॉजी सर्विसेज (एलटीटीएस) या टाटा कम्युनिकेशंस जैसी बड़ी कंपनियों के लिए निजी कैप्टिव नेटवर्क काफी मायने रखता है। यह उन्हें उनके ऐप्लिकेशन में कहीं अधिक विश्वसनीयता, बेहतर साइबर सुरक्षा, एम2एम ऐप्लिकेशन के लिए अधिक लेटेंसी और नेटवर्क संचालन में अधिक नियंत्रण एवं विकल्प प्रदान करता है।
प्राइवेट नेटवर्क के लिए कंपनियों को अब नेटवर्क की स्थापना, टेलीकॉम गियर विक्रेता का चयन और नेटवर्क संचालन के लिए दूरसंचार कंपनियों पर अधिक निर्भर नहीं होना पड़ेगा। एलऐंडटी टेक्नोलॉजी सर्विसेज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी अमित चड्ढा ने कहा, ‘हमने अपने मैसूर परिसर के लिए 5जी स्पेक्ट्रम के लिए आवेदन किया है। हम प्लांट इंजीनियरिंग, मेडिकल इमरजेंसी और रक्षा क्षेत्रों में यूज केसों को लागू कर रहे हैं।’
हालांकि इससे उन दूरसंचार ऑपरेटरों की भौहें तन गई हैं जो चाहते हैं कि कंपनियां केवल उनसे ही स्पेक्ट्रम पट्टे पर लें अथवा उन्हें अपनी ओर से निजी नेटवर्क चलाने दें। कुल मिलाकर वे उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान करने के लिए 5जी में स्लाइसिंग स्पेक्ट्रम का उपयोग कर सकते हैं। ऐसे में दूरसंचार कंपनियों को कारोबार नहीं खोना पड़ेगा।
दूरसंचार कंपनियों की शिकायत है कि सरकार के इस फैसले से सभी को समान अवसर नहीं मिलेगा। उनका कहना है कि दूरसंचार कंपनियों को नीलामी के तहत स्पेक्ट्रम खरीदना पड़ेगा जबकि कंपनियों को मामूली कीमत पर स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा। एंटरप्राइज कारोबार के बिना, 5जी दूरसंचार कंपनियों के लिए व्यावहारिक नहीं रहेगा।
दूरसंचार कंपनियों को नीलामी के तहत स्पेक्ट्रम खरीदारी के अलावा नेटवर्क स्थापित करने के लिए भी काफी निवेश करना पड़ेगा। लेकिन एमेजॉन, गूगल या सिस्को जैसी कंपनियों के लिए कैबिनेट का निर्णय जीत की तरह है। वे अब विभिन्न प्रौद्योगिकी समाधानों की पेशकश कर सकेंगी जिन्हें दुनिया भर में कंपनियों के लिए इन 5जी नेटवर्कों की तैनाती एवं संचालन के लिए बनाना होगा जो अब भी स्पेक्ट्रम को नियंत्रित करते हैं।
वे विभिन्न हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के साथ नेटवर्क को एक साथ रखते हुए इंटीग्रेटर के रूप में कार्य कर सकते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि दूरसंचार कंपनियों को बाजार में तगड़ी प्रतिस्पर्धा मिलेगी।

First Published - July 22, 2022 | 12:04 AM IST

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