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मल्टीप्लेक्स के पर्दे पर नई रोशनी बिखेर सकता है 2009

Last Updated- December 09, 2022 | 6:04 PM IST

मल्टीप्लेक्स मालिकों को 2009 से बड़ी उम्मीदें हैं। इसकी एक प्रमुख वजह यह भी है कि इस वर्ष के लिए उन्होंने 15,000 करोड़ रुपये से भी अधिक का भारी-भरकम निवेश किया है।


वर्ष 2008 ज्यादातर मल्टीप्लेक्स मालिकों के लिए कमाई के लिहाज से उत्साहजनक नहीं रहा। मल्टीप्लेक्स मालिकों का मानना है कि साल के शुरू में लचर कंटेंट का असर बॉक्स ऑफिस पर स्पष्ट दिखा जिसके कारण पूरे साल ऑक्यूपेंसी लेवल यानी सिने दर्शकों की आवक में 2007 की तुलना में 10-15 फीसदी की कमी दर्ज की गई।

हालांकि कारोबार में गिरावट नहीं देखी गई, क्योंकि 2008 के दौरान ज्यादातर मल्टीप्लेक्सों में फिल्म टिकटों, भोजन और बेवरेज की कीमतों में 10-15 फीसदी तक का इजाफा हुआ।

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (फिक्की) और प्राइसवाटरहाउसकूपर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार हिन्दी फिल्मोद्योग तकरीबन 11,000 करोड़ रुपये का है और 2012 तक इसके 17,500 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है।

घरेलू बॉक्स ऑफिस ने 8,250 करोड़ रुपये की रकम जुटाई वहीं विदेशों में बॉक्स ऑफिस का कलेक्शन तकरीबन 1,000 करोड़ रुपये रहा। होम वीडियो ने तकरीबन 750 करोड़ रुपये जुटाए।

वर्ष 2009 ज्यादातर मल्टीप्लेक्स मालिकों के लिए 2000 की तुलना में बेहतर साबित होगा। 2009 में 18-20 बड़ी फिल्में रिलीज के लिए तैयार हैं।

इस उद्योग के जानकारों के मुताबिक 2009 के पहले तीन महीनों में फिल्मों के रिलीज पर 300 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च किया जाएगा।

मल्टीप्लेक्स उद्योग अक्षय कुमार की ‘चांदी चौक टु चाइना’, शाहरुख खान की ‘बिल्लू बार्बर’ फरहान अख्तर की ‘लक बाई चांस’, अनिल कुमार की ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ और अभिषेक बच्चन की ‘देल्ही 6’ पर बड़ा दांव लगा रहा है।

पीवीआर लिमिटेड के अध्यक्ष प्रमोद अरोड़ा के मुताबिक, ‘वर्ष 2009 मल्टीप्लेक्स उद्योग के लिए बेहतर रहेगा जिसकी प्रमुख वजह यह भी है कि मनोरंजन कर में कटौती की गई है और इस साल कई ब्लॉकबस्टर फिल्में धमाल मचाने को तैयार हैं।

इसके अलावा मल्टीप्लेक्स में इस्तेमाल होने वाले उपकरण और सॉफ्टवेयर अब सस्ते हो गए हैं। कुल मिला कर यह कहा जा सकता है कि अब किसी मल्टीप्लेक्स के निर्माण पर आने वाली लागत 20 से 25 फीसदी कम ही रहेगी।’

फन मल्टीप्लेक्स के सीओओ विशाल कपूर के मुताबिक, ‘ऋण की अनुपलब्धता जैसी समस्याओं की वजह से यह वर्ष इस उद्योग को समेकन के लिए प्रेरित करेगा। यह उद्योग अधिक नकदी एकत्रित करने के लिए इस रास्ते पर चल कर मौजूदा स्थिति से मुकाबला कर सकता है।’

सिनेमैक्स के उपाध्यक्ष (मार्केटिंग एवं प्रोग्रामिंग) देवांग संपत कहते हैं, ‘हालांकि 2008 में मल्टीप्लेक्स कारोबार प्रभावित नहीं हुआ। आर्थिक मंदी लाभदायक साबित हो रही है, क्योंकि अब मॉल डेवलपर किराया घटाने को इच्छुक नजर आ रहे हैं।

हमने दूसरे और तीसरे दर्जे के उन शहरों में अपनी कुछ संपत्तियों के लिए किराया घटाए जाने के लिए बात शुरू कर दी है जहां सिने दर्शकों की आवक और राजस्व में गिरावट आई है।’

बिग सिनेमाज के मुख्य परिचालन अधिकारी तुषार ढींगरा कहते हैं, ‘मंदी की वजह से थिएटर विज्ञापन राजस्व में थोड़ी कमी आ सकती है।’ इस उद्योग के राजस्व में विज्ञापनों की 10 फीसदी की भागीदारी है। इसके अलावा 60 फीसदी भागीदारी टिकट बिक्री और 30 फीसदी भागीदारी भोजन एवं बेवरेज बिक्री की है।

देवांग संपत ने कहा, ‘हम मौजूदा समय में 69 स्क्रीनों के साथ 23 मल्टीप्लेक्स चला रहे हैं और 2012 तक हमने 300 स्क्रीनों के साथ अपने मल्टीप्लेक्सों की संख्या बढ़ा कर 100 करने की योजना बनाई है।’

First Published - January 6, 2009 | 10:34 PM IST

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