सरकार उत्पादन प्रोत्साहन से जुड़ी योजना (पीएलआई) के तहत लाभ प्राप्त न करने वाली कंपनियों के लिए भारतीय कारोबारी वीजा आवेदन की प्रक्रिया को सुचारु बनाने के लिए काम कर रही है। उन कंपनियों को भी आसान वीजा का फायदा दिलाने का उद्देश्य है जिन्हें पीएलआई का फायदा तो नहीं मिल रहा, लेकिन जिन्होंने इस स्कीम के तहत आने वाले 14 क्षेत्रों में विनिर्माण इकाइयां स्थापित की हैं।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने गुरुवार को बताया, ‘हम पीएलआई योजना के लाभार्थियों के लिए प्रक्रिया को दुरुस्त कर चुके हैं। हम इसका विस्तार इसी तरह के अन्य रणनीतिक क्षेत्रों के गैर पीएलआई लाभार्थियों के लिए कर रहे हैं।
हम पीएलआई क्षेत्र की ही तरह गैर पीएलआई लाभार्थियों के लिए प्रक्रिया को सुचारु बना रहे हैं।’ सिंह ने बताया, ‘इस बारे में अंतिम निर्णय नहीं किया गया है लेकिन हम इस दिशा की ओर आगे बढ़ रहे हैं। उम्मीद है कि इसे अच्छे ढंग से अंजाम दिया जाएगा। वीजा का मामला गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से जुड़ा हुआ है।’
पीएलआई योजना के तहत 14 क्षेत्र आते हैं। इनमें मोबाइल फोन, ड्रोन, व्हाइट गुड्स, दूरसंचार, कपड़ा, वाहन, स्पेशलिटी स्टील, दवाएं आदि शामिल हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस सप्ताह की शुरुआत में बिज़नेस स्टैंडर्ड को जानकारी दी थी कि सरकार पीएलआई योजना को सुचारू ढंग से लागू करने के लिए चीन ही नहीं बल्कि किसी भी देश से तकनीकविदों के वीजा संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए तेजी से कार्य कर रही है।
उद्योग जगत विनिर्माण परियोजनाओं में शामिल चीनी वेंडर के वीजा प्रक्रिया संबंधित बाधाओं को दूर करने के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहा है। कंपनियों को विशेष रूप से पीएलआई योजना के तहत कलपुर्जों के विनिर्माण से लेकर मशीनरी की स्थापना या मरम्मत तक के क्षेत्रों में वीजा बाधाओं के कारण उत्पादकता में अवरोध का सामना करना पड़ रहा है।
कई मंत्रालयों और सरकारी विभागों ने चीन के विशेषज्ञों और तकनीकविदों के वीजा संबंधित लंबित मसले को विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाया है। डीपीआईआईटी विदेश मंत्रालय के साथ इस मामले पर समन्वय कर रहा है।
एफडीआई नियम होंगे और उदार
सिंह ने बताया कि सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को और उदार बनाने की दिशा में कार्य कर रही है और इस बारे में आंतरिक तौर पर विचार-विमर्श जारी है। हालांकि उन्होंने उन क्षेत्रों का खुलासा नहीं किया जिनमें एफडीआई मानदंडों को उदार किया जाना है।