वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने मंगलवार को कहा कि फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में काम करने वाली भारतीय कंपनियों पर अमेरिका की शुल्क घोषणाओं का असर पड़ सकता है तथा मौजूदा शुल्क के कारण दूसरे स्तर के प्रभाव का जोखिम भी बढ़ रहा है।
भारत की कंपनियों का अमेरिकी शुल्क का सीधा असर आमतौर पर कम होता है। वहीं कई क्षेत्र फिलहाल इससे अप्रभावित हैं। अमेरिकी शुल्क की आगे की घोषणाओं से दवा जैसे क्षेत्रों पर असर पड़ने की संभावना है। एजेंसी ने कहा कि अगर अमेरिका के साथ भारत का व्यापार समझौता हो जाता है, तो ये जोखिम कम हो जाएंगे। अमेरिका ने भारत पर 7 अगस्त से 25 प्रतिशत शुल्क लगाया है और रूस से तेल आयात के कारण भारत पर 27 अगस्त से 25 प्रतिशत कर और लगेगा। भारत की दवा कंपनियों के लिए अमेरिका निर्यात का मुख्य केंद्र है।