आपके मोबाइल और लैंडलाइन नंबर के लिए जल्द ही आपको शुल्क देना पड़ सकता है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Trai) ने मोबाइल और लैंडलाइन नंबरों के लिए शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया है। उनका कहना है कि फोन नंबर एक मूल्यवान लेकिन सीमित सरकारी संपत्ति हैं। 6 जून 2024 को जारी एक परामर्श पत्र में बताए गए इस प्रस्ताव के अनुसार, मोबाइल कंपनियों पर इन नंबरों के लिए शुल्क लगाया जा सकता है, जिसे बाद में उपभोक्ताओं से वसूला जा सकता है।
ट्राई का कहना है कि टेलीकॉम टेक्नॉलॉजी में हो रहे बदलावों को देखते हुए नंबरिंग सिस्टम का रिव्यू जरूरी है। ट्राई के अनुसार फोन नंबर एक सीमित सरकारी संपत्ति हैं और इनका कुशलतापूर्वक इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए इन पर शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया गया है।
भारत में टेलीकॉम का बड़ा बदलाव
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के दस्तावेज भारत के टेलीकॉम क्षेत्र में हो रहे बड़े बदलावों को दर्शाते हैं। टेक्नोलॉजी तेजी से आगे बढ़ रही है, जिसकी वजह से भारत में टेलीकॉम की दुनिया पूरी तरह बदल रही है। मार्च 2024 तक भारत में 1.19 अरब से ज्यादा फोन कनेक्शन हो गए हैं और टेली-डेंसिटी 85.69% तक पहुंच गई है। यानी हर 100 लोगों में से 85 के पास टेलीफोन कनेक्शन है। इससे फोन नंबरों की मांग भी काफी बढ़ गई है।
इस चुनौती से निपटने के लिए ट्राई ने एक नई नंबरिंग योजना का प्रस्ताव दिया है। इस योजना के तहत टेलीकॉम कंपनियों को फोन नंबर देने का एक व्यवस्थित तरीका अपनाया जाएगा। इससे न सिर्फ कई तरह की सेवाओं को सपोर्ट मिलेगा बल्कि टेलीकॉम क्षेत्र का विस्तार भी आसानी से हो सकेगा। ट्राई की उम्मीद है कि शुल्क प्रणाली लागू करने से मोबाइल नंबरों को देने का रेगुलेशन सख्त होगा। इससे टेलीकॉम कंपनियां फोन नंबरों का कुशलतापूर्वक और पारदर्शी तरीके से इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित होंगी।
ट्राई नंबरों पर शुल्क लगाने का प्रस्ताव
ट्राई का कहना है कि स्पेक्ट्रम आवंटन की तरह, नंबर देने का अधिकार सरकार के पास है। मोबाइल कंपनियों को सिर्फ लाइसेंस अवधि के दौरान इन नंबरों का इस्तेमाल करने का अधिकार मिलता है। पिछले साल दिसंबर में पास किए गए नए टेलीकॉम कानून के तहत अब नंबरों, जिन्हें ‘टेलीकॉम आईडेंटिफायर’ भी कहा जाता है, पर शुल्क लगाने की इजाजत है।
दरअसल, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, बेल्जियम, फिनलैंड, ब्रिटेन, लिथुआनिया, ग्रीस, हॉन्ग कॉन्ग, बुल्गारिया, कुवैत, नीदरलैंड्स, स्विट्जरलैंड, पोलैंड, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका और डेनमार्क जैसे कई देश पहले से ही फोन नंबरों पर शुल्क लगाते हैं। ट्राई भी भारत में नंबरों के कुशल प्रबंधन के लिए ऐसा ही कदम उठाना चाहता है।
ट्राई ने नंबरों पर शुल्क लगाने के लिए कई तरीके सुझाए हैं। उदाहरण के तौर पर, सरकार हर नंबर पर एक बार का शुल्क लगा सकती है, हर साल हर नंबर के लिए रिकरिंग शुल्क ले सकती है या फिर प्रीमियम या ‘वीआईपी’ नंबरों के लिए नीलामी करवा सकती है।
टेलीकॉम ऑपरेटरों पर लगेगा जुर्माना
ट्राई कम इस्तेमाल होने वाले नंबरों पर जुर्माना लगाने पर भी विचार कर रहा है। उदाहरण के लिए, कई लोगों के पास दो सिम कार्ड होते हैं, लेकिन वे किसी एक का इस्तेमाल ही नहीं करते। ऐसे में मोबाइल कंपनियां अपने यूजर्स को बनाए रखने के लिए उनका नंबर बंद नहीं करना चाहतीं। इससे नंबरों का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता है।
मोबाइल नंबरों पर शुल्क लगाने के अलावा, ट्राई कई और उपायों पर भी विचार कर रहा है। इनमें शामिल हैं:
ट्राई ने इस प्रस्ताव पर सुझाव देने के लिए सभी संबंधित पक्षों को आमंत्रित किया है। इसके लिए जुलाई 2024 की शुरुआत तक कॉमेंट और जवाबी कॉमेंट जमा करने की समय सीमा तय की गई है। दस्तावेज में बताया गया है कि भारत में अब तक दूरसंचार विभाग (DoT) ही नंबरों को देने का काम करता रहा है। 1993 और 2003 में टेलीकॉम क्षेत्र के तेजी से बढ़ते हुए जरूरतों को पूरा करने के लिए नंबर देने की राष्ट्रीय योजना में काफी बदलाव किए गए थे। लेकिन अब टेलीकॉम की दुनिया में हो रहे बदलावों को देखते हुए एक मजबूत फ्रेमवर्क की जरूरत है।
ट्राई द्वारा शुल्क और अन्य नियम लागू करने का लक्ष्य है कि नंबरों का कुशलतापूर्वक आवंटन और इस्तेमाल हो। इससे भारत के बदलते टेलीकॉम परिवेश को बेहतर तरीके से सपोर्ट मिल सकेगा।