कंपनी के चेयरमैन और मुख्य कार्य अधिकारी सुमंत सिन्हा
हाल ही में रिन्यू एनर्जी ग्लोबल पीएलसी (रिन्यू) ने आंध्र प्रदेश में हरित ऊर्जा परियोजना लगाने के वास्ते 60,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है। कंपनी के चेयरमैन और मुख्य कार्य अधिकारी सुमंत सिन्हा ने शाइन जेकब से कंपनी की व्यापक योजना, वेफर विनिर्माण में कंपनी के प्रवेश और ट्रांसमिशन क्षेत्र की चिंताओं पर बातचीत की। मुख्य अंशः
नई योजनाओं के साथ आंध्र प्रदेश में आपका कुल निवेश लगभग 82,000 करोड़ रुपये (9.3 अरब डॉलर) हो गया है। आप इसे भुनाने के लिए राज्य की क्षमता को कैसे देखते हैं?
हमने अपने निवेश के लिए आंध्र प्रदेश को क्यों चुना इसके कुछ कारण हैं। यह अच्छे नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों से संपन्न है। राज्य में अभी तक पवन और सौर ऊर्जा का ज्यादा प्रसार नहीं हुआ है। इसके अलावा, इसे गतिशील और सहयोगी नेतृत्व की भी मदद मिली है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि मंजूरी हासिल करने और प्रक्रिया से गुजरने में आने वाली सभी समस्याओं का एक ही जगह मंजूरी प्रणाली के जरिये जल्दी समाधान हो सके। वे भूमि आवंटन जैसी हमारी प्राथमिकताओं को पूरा करने और अच्छे प्रोत्साहनों की व्यवस्था करने में बहुत सक्रिय रहे हैं। 82,000 करोड़ रुपये की निवेश पाइपलाइन में से हम पहले से ही 22,000 करोड़ रुपये की परियोजना पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा, विशाखापत्तनम के करीब 6 गीगावॉट का इंगोट-वेफर संयंत्र स्थापित किए जाने की संभावना है। हरित हाइड्रोजन संयंत्र एक बंदरगाह पर होगा और हम इस पर राज्य सरकार के साथ चर्चा कर रहे हैं। 2 गीगावॉट की पंप वाली जलविद्युत परियोजना की घोषणा हम बाद में करेंगे और स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाएं संभवतः रायलसीमा क्षेत्र में होंगी। इस तरह हम पूरे राज्य में निवेश कर रहे हैं।
यह इंगट वेफर विनिर्माण में आपका पदार्पण होगा। क्या आप इसकी संभावनाओं के बारे में विस्तार से बता सकते हैं?
कुछ विनिर्माण के वास्ते हमारे पास देश में अतिरिक्त मॉड्यूल क्षमता है। यह पहला क्षेत्र है जहां सरकार ने उद्योग को चीन से होने वाली आयात को रोककर क्षमता स्थापित करने के लिए कहा है। आज, हमारे पास लगभग 100 गीगावॉट मॉड्यूल निर्माण क्षमता है, जबकि मांग लगभग 50 गीगावॉट हो सकती है। मूल्य श्रृंखला का अगला हिस्सा सेल का आयात अगले साल जून से बंद हो जाएगा। आज हमारे पास लगभग 20 गीगावॉट सेल विनिर्माण क्षमता है। इसमें से रिन्यू की क्षमता 2.5 गीगावॉट है और हम 4 गीगावॉट और जोड़ रहे हैं। आज हमारे पास 6 गीगावॉट मॉड्यूल क्षमता भी है। इसलिए, हमारे पास एक संतुलित सेल और मॉड्यूल क्षमता है। अब, सरकार कह रही है कि वे 2028 से वेफर्स का आयात बंद करना चाहती है। इसका मतलब है कि हमें वेफर्स बनाना शुरू करना होगा और आंध्र प्रदेश में इस 6 गीगावॉट के प्रयास के जरिये हम यही चाहते हैं। आज भारत में कोई भी वेफर्स नहीं बना रहा है, इसलिए क्षमता नहीं है। मगर प्रतिबंध तीन साल बाद लगेगा इसलिए, आज इसे बनाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि चीन इसे अभी आपसे कहीं ज्यादा सस्ता बना रहा है।
चिंता जताई जा रही है इससे सौर ऊर्जा की लागत बढ़ सकती है। इस पर आप क्या कहेंगे?
आज यह पहले से ही बहुत सस्ता है और भले ही आप मूल्य श्रृंखला का स्थानीयकरण शुरू करें और लागत बढ़ने लगे फिर भी यह पवन या कोयले से भी काफी सस्ता रहेगा। इसलिए, अगर लागत थोड़ी बढ़ जाती है, लेकिन इस प्रक्रिया में आप उद्योग का स्वदेशीकरण करते हैं, निवेश और रोजगार सृजन होता है, तो देश के नजरिये से यह प्रयास सार्थक है। इनमें से बहुत सी परियोजनाएं पहले से ही स्वीकृत हैं। आज जिन परियोजनाओं के लिए बोली लगाई गई है उन्हें वेफर्स आयात करने की अनुमति होगी, भले ही वे 2030 या 2031 में ही क्यों न बन जाएं। इसका मतलब है कि 2028 में कुल क्षमता की आवश्यकता बहुत कम होगी और हम धीरे-धीरे पूरी क्षमता तक पहुंच जाएंगे। इसका नतीजा यह होगा कि कुछ ही वर्षों में हमारी आपूर्ति श्रृंखला पूरी तरह से घरेलू हो जाएगी और चीन पर हमारी निर्भरता खत्म हो जाएगी।
डेटा सेंटर के बढ़ते चलन को आप कैसे देखते हैं। खासकर तब जब गूगल भी आंध्र प्रदेश में एक एआई डेटा सेंटर स्थापित करने जा रही है?
जैसे-जैसे डेटा सेंटर आएंगे वे नई मांग पैदा करेंगे। हम इनमें से कुछ कंपनियों से उन्हें क्या चाहिए, कब चाहिए और बिजली की प्रकृति, आदि पर बातचीत कर रहे हैं हम देखेंगे कि हम उन्हें क्या मदद कर सकते हैं।