उद्योग

भारतीय उद्योग जगत बढ़ा रहा पूंजीगत निवेश, सरकारी प्रोत्साहन और बढ़ती मांग से कंपनियां उत्साहित

स्वास्थ्य सेवा कंपनियां अधिग्रहण के लिए निजी इक्विटी निवेश आकर्षित कर रही हैं। जबकि भारतीय अस्पताल भी अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए पूंजीगत व्यय कर रहे हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हाल के महीनों में निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में दो अंकों की वृद्धि का संकेत दिए जाने के बाद भारतीय कंपनियां अपनी पूंजीगत व्यय योजनाओं को रफ्तार दे रही हैं। सरकारी प्रोत्साहन और बढ़ती मांग से उत्साहित कंपनियां अपनी क्षमता बढ़ाने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं।

आरबीआई ने पिछले सप्ताह मौद्रिक नीति में कहा था कि क्षमता उपयोगिता में वृद्धि और धारणा में सुधार होने के साथ-साथ बैंकों और कंपनियों के दमदार बहीखाते भी निजी क्षेत्र के निवेश को लगातार बढ़ाने के लिए अनुकूल माहौल बना रहे हैं।

भारतीय उद्योग जगत के नेताओं का कहना है कि अगले कुछ वर्षों के दौरान भारी पूंजीगत निवेश दिखेगा। आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील के सीएफओ अमित हरलालका ने कहा, ‘कुल मिलाकर विस्तार के लिए हमें 4.5 से 5 अरब डॉलर के निवेश की दरकार है। इसलिए 2 से 2.5 अरब डॉलर का निवेश इसी साल किया जाएगा और 2 से 2.5 अरब डॉलर का निवेश 2025 तक करने की योजना है।

एएम/एनएस इंडिया गुजरात के अपने हजीरा प्लांट में मौजूदा क्षमता 90 लाख टन को बढ़ाकर 1.5 करोड़ टन करने जा रही है। डाउनस्ट्रीम सहित कुल निवेश 7.4 अरब डॉलर होगा।’ इक्रा की रिपोर्ट के अनुसार, टाटा स्टील और जेएसडब्ल्यू स्टील जैसी इस्पात कंपनियां भी वित्त वर्ष 2024 से 2027 तक सालाना 3.85 करोड़ टन क्षमता विस्तार कर सकती हैं।

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष आर दिनेश ने कहा कि कुल पूंजीगत व्यय में निजी क्षेत्र की प्रतिशत हिस्सेदारी 36 से 37 फीसदी रही है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024 में भी यह हिस्सेदारी बरकरार रहेगी। निजी क्षेत्र के पूंजीगत निवेश के लिए सकारात्मक परिदृश्य को रेखांकित करते हुए दिनेश ने कहा कि सीआईआई सर्वेक्षण से पता चलता है कि सभी क्षेत्रों में क्षमता उपयोगिता 75 से 95 फीसदी के बीच है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक स्थिति काफी अस्थिर दिख रही है, लेकिन भारतीय उद्योग के पास संतुलन, मजबूती और उच्च क्षमता उपयोगिता की ताकत है।

निजी निवेश को मुख्य तौर पर टाटा, रिलायंस, अदाणी और जिंदल समूह द्वारा नई ऊर्जा एवं बिजली उत्पादन सहित विभिन्न क्षेत्रों में किए गए निवेश से रफ्तार मिली है। इसी प्रकार मारुति सुजूकी और ह्युंडै के नेतृत्व में वाहन कंपनियों ने भारत में क्षमता विस्तार पर बड़े निवेश की योजना बनाई है। भारत की सबसे बड़ी कार विनिर्माता मारुति सुजूकी ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था कि उसने वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2031 के बीच करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है।

विश्लेषकों ने कहा कि वाहन कंपनियां वित्त वर्ष 2025 में अपनी करीब 6 से 6.5 फीसदी आय का पूंजीगत निवेश करेंगी। इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च की निदेाक श्रुति साबू ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘6 से 6.5 फीसदी के इस आंकड़े में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना का प्रभाव शामिल नहीं है। अगर कंपनियों के मार्जिन को पीएलआई योजना से बल मिला तो उनकी पूंजीगत निवेश योजनाएं भी बेहतर होंगी।’

जेएसडब्ल्यू समूह ने एमजी मोटर इंडिया में 35 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए चीन की कंपनी एसएआईसी मोटर के साथ संयुक्त उद्यम बनाने की घोषणा की थी। मगर अब वह 40,000 करोड़ रुपये के निवेश से ओडिशा में इलेक्ट्रिक वाहन एवं बैटरी विनिर्माण कारखाना स्थापित करने की योजना बना रहा है।

टाटा मोटर्स अपने व्यक्तिगत निवेश के बारे में अलग से खुलासा नहीं करती है। कंपनी के ग्रुप सीएफओ पीबी बालाजी ने तीसरी तिमाही के नतीजे जारी करने के बाद विश्लेषकों से बातचीत में कहा, ‘इस साल अब तक जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) के लिए करीब 2.3 अरब पाउंड और टाटा मोटर्स के यात्री वाहन, वाणिज्यिक वाहन एवं इलेक्ट्रिक वाहन कारोबार के लिए करीब 6,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।’

ह्युंडै मोटर इंडिया ((Hyundai Motor India) ने जनवरी में घोषणा की थी कि वह तमिलनाडु में 6,180 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। यह इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन, चार्जिंग बुनियादी ढांचा और कौशल विकास पर उसके द्वारा 2032 तक किए जाने वाले 20,000 करोड़ रुपये के निवेश के अतिरिक्त है। कंपनी ने जनरल मोटर इंडिया के तलेगांव कारखाने का भी अधिग्रहण किया है जहां वह 6,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।

रिलायंस इंडस्ट्रीज का पूंजीगत व्यय दिसंबर 2023 तिमाही में 30,102 करोड़ रुपये है। कंपनी देश भर में 5जी की तैनाती, रिटेल इन्फ्रास्ट्रक्चर में विस्तार और नए ऊर्जा कारोबार पर निवेश करेगी। इसके अलावा कंपनी ने नए ऊर्जा परिवेश के निर्माण पर 10 अरब डॉलर यानी करीब 83,000 करोड़ रुपये तक निवेश करने की भी घोषणा की थी।

अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांत लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2024 में 1.7 अरब डॉलर के निवेश की योजना बनाई है। इसमें से 50 करोड़ डॉलर तेल एवं गैस कारोबार में, 30 करोड़ डॉलर जस्ता, 60 करोड़ डॉलर एल्युमीनियम और शेष अन्य कारोबार में करने की योजना है। कंपनी ने दिसंबर तिमाही की निवेशक प्रस्तुति में यह जानकारी दी थी।

आदित्य बिड़ला समूह ओडिशा में हिंडाल्को इंडस्ट्रीज की 20 लाख टन क्षमता वाली एक नई एल्युमिना रिफाइनरी स्थापित करने पर 8,000 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। समूह की सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक ने हाल में कहा था कि वह अगले तीन साल के दौरान क्षमता विस्तार पर 32,400 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।

अदाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियां- अदाणी ग्रीन एनर्जी, अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस, अदाणी पोर्ट्स ऐंड एसईजेड, अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी- ऊर्जा में बदलाव के लिए अगले दो दशक के दौरान 10 अरब डॉलर का निवेश करेंगी। इसमें से 70 फीसदी निवेश हरित ऊर्जा में किया जाएगा।

टाटा समूह ने गुजरात और असम में दो सेमीकंडक्टर संयंत्रों में 14 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना की घोषणा की है। कंपनी अक्षय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और बिजली उत्पादन सहित कई क्षेत्रों में करीब 120 अरब डॉलर का निवेश करेगी।

स्वास्थ्य सेवा कंपनियां अधिग्रहण के लिए निजी इक्विटी निवेश आकर्षित कर रही हैं। जबकि भारतीय अस्पताल भी अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए पूंजीगत व्यय कर रहे हैं। जहां तक दवा कंपनियों का सवाल है तो भारत की सबसे बड़ी दवा विनिर्माता सन फार्मास्युटिकल्स ने वार्षिक रखरखाव पर 20 से 25 करोड़ डॉलर खर्च करने की योजना बनाई है।

First Published : April 10, 2024 | 10:36 PM IST