अंतरराष्ट्रीय

नेपाल में Gen-Z आंदोलन हुआ खत्म, सरकार ने सोशल मीडिया पर से हटाया बैन

Nepal Protest: सोमवार शाम हुई आपात बैठक के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देर रात बयान जारी कर बैन खत्म करने का ऐलान किया।

Published by
बीएस वेब टीम   
Last Updated- September 09, 2025 | 7:52 AM IST

Nepal Protest: नेपाल सरकार ने सोमवार को हुए हिंसक प्रदर्शनों और 19 प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद सोशल मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया है। सरकार ने 4 सितंबर को यह बैन लगाया था, यह कहते हुए कि सोशल मीडिया कंपनियां देश के पंजीकरण नियमों का पालन नहीं कर रही थीं।

सोमवार शाम हुई आपात बैठक के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देर रात बयान जारी कर बैन खत्म करने का ऐलान किया। हालांकि उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर हुई गोलीबारी की जिम्मेदारी लेने के बजाय “घुसपैठ करने वाले समूहों” को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया।

कैबिनेट का फैसला और सरकार का रुख

नेपाल के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री और सरकारी प्रवक्ता पृथ्वि सुब्बा गुरुङ ने कहा कि प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं देंगे। इसके बाद फेसबुक, यूट्यूब और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म मंगलवार आधी रात से ही सामान्य रूप से काम करने लगे।

सरकार ने बैन को “फेक न्यूज पर रोक” के तौर पर पेश किया था, लेकिन अधिकार समूहों ने इसे सेंसरशिप करार दिया।

कैसे भड़की हिंसा?

‘Gen-Z नेपाल’ के बैनर तले सोमवार को हजारों युवा भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सड़कों पर उतरे। प्रदर्शनकारियों ने संसद की ओर मार्च करने की कोशिश की तो सुरक्षा बलों ने उन पर सीधे गोलियां चला दीं और बाद में आंसू गैस भी छोड़ी। काठमांडू में 17 और पूर्वी शहर इटहरी में 2 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

हिंसा के बाद नेपाल में मौजूद सात देशों—ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, फ्रांस, जापान, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका—के दूतावासों ने संयुक्त बयान जारी कर गहरी संवेदना जताई। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार सुरक्षित रहना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (UNHRO) ने भी प्रदर्शनों में हुई मौतों और घायलों की पारदर्शी जांच की मांग की। यूएन ने सुरक्षा बलों पर “अनावश्यक और अनुपातहीन बल प्रयोग” का आरोप लगाया और कहा कि नेपाल की लोकतांत्रिक परंपरा को देखते हुए सरकार को संवाद के रास्ते तलाशने चाहिए।

युवाओं का गुस्सा

प्रदर्शन में सबसे बड़ी भागीदारी कॉलेज और स्कूल के छात्रों की रही। युवाओं का आरोप है कि सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में नाकाम रही है और आर्थिक अवसर लगातार सिमट रहे हैं। इसके साथ ही सोशल मीडिया बैन को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला माना गया।

(-पीटीआई इनपुट के साथ)

First Published : September 9, 2025 | 7:52 AM IST