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US ट्रेडिंग फर्म Jane Street Group LLC की ओर से SEBI के खिलाफ दायर मामले में सिक्युरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) में मंगलवार (9 सितंबर) से सुनवाई से शुरू हो रही है। इस मामले की सुनवाई SAT की तीन-न्यायाधीशों वाली पीठ जस्टिस पीएस दिनेश कुमार की अध्यक्षता में होगी। दरअसल, सेबी ने जुलाई में जेन स्ट्रीट के खिलाफ हाई-स्टेक अंतरिम आदेश किया था, जिसमें फर्म पर मार्केट मैनिपुलेशन का आरोप लगाया गया था और भारत में ट्रेडिंग करने से रोक दिया गया था। इसके बाद फर्म ने ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था।
यह मामला भारत में काम कर रहे अन्य ग्लोबल ट्रेडिंग फर्मों जैसे Jump Trading, Citadel Securities और IMC Trading के लिए मिसाल बन सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि SAT संभवतः Jane Street को अंतरिम राहत प्रदान कर सकती है और SEBI को जवाब देने का निर्देश दे सकती है, लेकिन मुख्य फोकस यह रहेगा कि SEBI के आदेश पर अंतरिम रोक लगाई जाएगी या नहीं।
SEBI ने Jane Street पर आरोप लगाया कि उसने Nifty Bank इंडेक्स को मैनिपुलेट किया। इसके लिए फर्म ने इंडेक्स के कॉन्स्टिट्यूएंट स्टॉक्स को कैश और फ्यूचर्स मार्केट दोनों में खरीदा, ताकि इंडेक्स को आर्टिफिशियल रूप से बढ़ाया जा सके। कथित तौर पर फर्म ने फिर पोजीशन्स को उलटते हुए इंडेक्स ऑप्शंस में शॉर्ट बेट्स बनाए और गिरावट से लाभ कमाया। बीती 3 जुलाई के आदेश में SEBI ने Jane Street को ट्रेडिंग से रोकते हुए ₹4,840 करोड़ कथित अवैध लाभ के रूप में जब्त करने का निर्देश दिया।
फर्म ने आरोपों को “मूल रूप से गलत” बताया है और कहा कि उनके ट्रेड्स सामान्य इंडेक्स आर्बिट्राज एक्टिविटी का हिस्सा थे। Jane Street ने कुछ दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने की मांग की है। जिनमें SEBI और हेज फंड मैनेजर मयंक बंसल के बीच ईमेल, जिन्होंने कथित रूप से SEBI को सूचना दी, और SEBI व NSE के बीच कम्युनिकेशंस की डीटेल शामिल है। फर्म का कहना है कि इन्हें “अप्रासंगिक” बताकर रोका गया, जबकि NSE और SEBI की पहले की समीक्षा में Jane Street की ट्रेडिंग में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं पाई गई।