प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
Rare Earth Crisis: भारत सरकार रेयर अर्थ मैग्नेट के प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना पर काम कर रही है। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारास्वामी ने शुक्रवार को बताया कि 1,345 करोड़ रुपये की इस योजना के तहत दो चुनिंदा मैन्युफैक्चरर को सब्सिडी दी जाएगी। यह कदम चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात पर रोक लगाने के बाद उठाया जा रहा है, जिसने वैश्विक आपूर्ति को प्रभावित किया है और भारत समेत कई देशों में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बनाने वाली कंपनियों को परेशानी में डाल दिया है।
इस योजना का मकसद रेयर अर्थ ऑक्साइड को मैग्नेट में बदलने की पूरी प्रक्रिया को सपोर्ट करना है। सूत्रों के मुताबिक, कई मंत्रालय से बातचीत के बाद इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा। कुमारास्वामी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “1,345 करोड़ रुपये की इस योजना में दो मैन्युफैक्चरर को शामिल करने का प्रस्ताव है।”
भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव कमरान रिजवी ने बताया कि इस योजना का मसौदा तैयार कर लिया गया है और इसे अंतर-मंत्रालयी परामर्श के लिए भेजा गया है। उन्होंने कहा, “हमारा फोकस मैग्नेट पर है। जो भी हमें मैग्नेट देगा, उसे प्रोत्साहन मिलेगा। इस योजना में दो मैन्युफैक्चरर को शामिल करने की योजना है।” यह सब्सिडी रेयर अर्थ ऑक्साइड को मैग्नेट में बदलने के लिए प्रोसेसिंग सुविधाएं स्थापित करने में निवेश को बढ़ावा देगी।
भारत में रेयर अर्थ का एकमात्र भंडार इंडियन रेयर अर्थ मैग्नेट्स लिमिटेड के पास है, जो परमाणु ऊर्जा मंत्रालय के अधीन एक सार्वजनिक उपक्रम है। चीन द्वारा हाल ही में महत्वपूर्ण धातुओं के निर्यात पर लगाई गई पाबंदी ने ऑटोमोबाइल और सेमीकंडक्टर चिप निर्माण में बड़े पैमाने पर व्यवधान पैदा किया है। रेयर अर्थ मैग्नेट, जैसे नियोडिमियम-आयरन-बोरोन (NdFeB), इलेक्ट्रिक वाहनों के ट्रैक्शन मोटर और पावर स्टीयरिंग मोटर में इस्तेमाल होते हैं। ये मैग्नेट न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों, बल्कि पारंपरिक इंजन वाले वाहनों में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
भारत सरकार का कहना है कि इस योजना के जरिए न केवल दूसरे देशों पर निर्भरता को कम करना चाहता है, बल्कि देश में ही प्रोडक्शन को बढ़ावा देकर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी स्थिति को मजबूत करना है।