कोयला मंत्रालय ने उन कंपनियों की संपत्तियों का मूल्य तय करने के लिए एक विस्तृत ढांचा जारी किया है जिनके कोयला ब्लॉक 2014 में रद्द कर दिए गए थे। दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद यह कदम उठाया गया है। इसका मकसद पूर्व आवंटियों को मुआवजा देने की प्रक्रिया को गति देना है।
मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा, ‘कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 की अनुसूची-1 में सूचीबद्ध 204 कोयला खदानों में से 62 कोयला खदानों को आज तक फिर से आवंटित नहीं किया जा सका और इन 62 कोयला खदानों के पूर्व आवंटियों को मुआवजे के दावों के लिए अंतिम अवसर के रूप में आमंत्रित किया जाता है।’
उच्चतम न्यायालय द्वारा 2014 के एक आदेश के बाद 204 कोयला खदानों का आवंटन रद्द होने के बाद के मसलों को हल करने की यह अंतिम कवायदों में से एक है। दस्तावेज के मुताबिक मूल्यांकन में जमीन और पट्टे के अधिकार को छोड़कर खदान के बुनियादी ढांचे शामिल किया जाएगा। यह ढांचा 7 राज्यों की 62 खदानों पर लागू होगा, जो छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में हैं।
प्रमुख पूर्व आवंटियों की सूची में अल्ट्राटेक लिमिटेड, अदाणी पावर लिमिटेड, जिंदल स्टील ऐंड पावर लिमिटेड, डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड, गुजरात मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड शामिल हैं।
नई व्यवस्था के तहत कंपनियों को अधिसूचना जारी होने के 15 दिनों के भीतर वित्त वर्ष 2013-14 से वित्त वर्ष 2016-17 तक का वर्षवार विस्तृत आंकड़े देने होंगे, जिसमें संपत्ति मूल्य, मूल्यह्रास, पुनर्मूल्यांकन और देनदारियां शामिल हैं।