वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू ने कहा कि भारत को अपने 80 प्रतिशत सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (MSME) को औपचारिक वित्तीय व्यवस्था के तहत लाने की जरूरत है, जबकि इस समय यह संख्या 40 प्रतिशत है।
मुंबई में आयोजित FIBAC में सचिव ने कहा, ‘देश में 4 करोड़ से कुछ ज्यादा एमएसएमई पंजीकृत हैं, उनमें से 40 प्रतिशत ही औपचारिक वित्तीय व्यवस्था में शामिल हैं, जिसे बढ़ाकर 70 या 80 प्रतिशत किए जाने की जरूरत है। अगर वैश्विक स्थिति देखें तो हम जानते हैं कि छोटे एसएमई समूह की न सिर्फ घरेलू स्तर पर अर्थव्यवस्था में व्यापक मौजूदगी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वे काम कर रही हैं। हमें ऐसा करने की जरूरत है।’
बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की आर्थिक वृद्धि विकास की गति तेज करने में अहम भूमिका है और वे सस्ती पूंजी और वित्तीय सेवाएं मुहैया कराकर ऐसा कर सकती हैं। समावेशी विकास में निर्विवाद रूप से बैंकों का बड़ा दायित्व है, जो देश के सामाजिक व आर्थिक विकास का मूल आधार है।