अमेरिकी दवा नियामक द्वारा वर्ष 2022 में जारी करीब 45 प्रतिशत आपत्तियां लिखित प्रक्रियाओं के अभाव, प्लांट रखरखाव और एंसिलियरी इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी हुई थीं। मैकिंसे (McKinsey) के अनुसार अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन (USFDA) द्वारा जारी फॉर्म 483 के विश्लेषण में यह बात सामने आई है।
विश्लेषण से पता चला है कि फॉर्म 483 से संबंधित आपत्तियों का स्वरूप हाल के वर्षों में बदला है। प्रयोगशाला नियंत्रण और मुख्य निर्माण प्रक्रिया जैसे मुद्दों पर आपत्तियों में गिरावट आई है। इसका मतलब है कि भारतीय प्लांटों में मुख्य निर्माण प्रक्रियाएं स्थिर और नियंत्रित हैं। अब नियामकीय जोर सहायक कार्यों और ढांचे पर है।
USFDA जांच पूरी होने के बाद किसी कंपनी के प्रबंधन को फॉर्म 483 जारी करता है।
मैकिंसे ऐंड कंपनी के सीनियर पार्टनर विकास भदौरिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि वर्ष 2022 में प्लांटों द्वारा दर्ज की गईं 45 प्रतिशत आपत्तियां लिखित प्रक्रियाओं की गैर-उपलब्धता, प्लांट के मैंटेनेंस और एंसिलियरी इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबंधित थीं।
उन्होंने कहा, ‘USFDA द्वारा जारी आपत्तियों में मूल कारणों की जांच का भी 15 प्रतिशत योगदान रहा। जहां 2018 में, प्रयोगशाला नियंत्रण और मुख्य निर्माण प्रक्रियाओं जैसी चुनौतियों का कुल जारी आपत्तियों में 20 प्रतिशत से ज्यादा योगदान था, जो 2022 में घटकर महज 12 प्रतिशत रह गया।’
भदौरिया ने कहा कि डेटा रिलायबिलिटी और गुड डॉक्यूमेंटेशन प्रैक्टिस पर आपत्तियां 2022 में 5 प्रतिशत थीं। उन्होंने कहा, ‘यह 2018 की पिछली भागीदारी के मुकाबले करीब 50 प्रतिशत कम है।’
मैकिंसे ने USFDA द्वारा जारी निगरानी के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। उद्योग के दिग्गजों का कहना है कि USFDA यह सुनिश्चित करने पर ध्यान दे रहा है कि विद्युत अभाव के मामले में पाइपों की सफाई, मशीन चलाने या बंद करने जैसी प्रक्रियाओं के लिए लिखित दिशा-निर्देश हों।
वर्ष 2022 में USFDA द्वारा स्वीकृत कुल एब्रिविएटेड न्यू ड्रग एप्लीकेशंस (ANDA) में भारत का 48 प्रतिशत योगदान है।
530 प्लांटों के साथ देश को अमेरिका से बाहर USFDA स्वीकृत प्लांटों की संख्या में पहला स्थान हासिल है। अमेरिका भारत से करीब 7.3 अरब डॉलर के दवा उत्पादों का आयात करता है।
इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (IPA) में वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार (गुणवत्ता एवं नियामकीय) राजीव देसाई ने कहा कि अमेरिकी बाजार में मजबूत व्यवसाय वाली कंपनियों पर उन्होंने ज्यादा ध्यान दिया है। इसलिए गुणवत्ता अनुपालन सुनिश्चित करना उनकी मुख्य प्राथमिकता होनी चाहिए।
भारत में प्रमुख 24 दवा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले IPA द्वारा आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि वर्ष 2023 के दौरान 52 निरीक्षणों में से 49 वीएआई (वोलंटरी एक्शन इंडिकेटेड) या NAI (नो एक्शन इंडिकेटेड) दर्जे की वजह से किए गए।