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भारत में सबसे तेज़ी से अपनाई जा रही है AI, नंदन नीलेकणि बोले- अब फोन से ही होगा सब काम

नीलेकणि ने कहा- स्मार्टफोन, आधार और यूपीआई जैसे डिजिटल सिस्टम ने लोगों को तकनीक से जोड़ा, अब भारत एआई में भी सबसे आगे बढ़ेगा

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आशीष आर्यन   
Last Updated- April 11, 2025 | 10:20 PM IST

भारत में पिछले 15 वर्षों के दौरान हुई तकनीकी प्रगति के कारण देश के आम लोग आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) को दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले तेजी से अपना सकते हैं। यह बात इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि ने कार्नेगी टेक्नॉलजी समिट 2025 में कही। उन्होंने कहा कि भारत में तेजी से एआई अपनाने के कारण ही इस प्रौद्योगिकी का विकास भी तेजी से होगा।

नीलेकणि ने कहा, ‘अगर आप पिछले 10 से 15 वर्षों में भारत में जो कुछ हो रहा है, उसे देखेंगे तो पाएंगे कि जब स्मार्टफोन आने शुरू हुए थे तो लोग शुरू में उस फोन का इस्तेमाल सिर्फ बातचीत अथवा मनोरंजन के लिए करते थे और उसमें भी पश्चिमी देशों का दबदबा होता था। साल 2015-16 के आसपास आधार, यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) आदि के आने के साथ ही भारत में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ने लगा था और देश अधिक आधुनिक हो गया था।’

उन्होंने कहा कि डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को तेजी से अपनाने के अलावा वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों के मुकाबले संतुलन घरेलू प्रौद्योगिकी कंपनियों की ओर चला गया और इन्हें उद्यम पूंजी से धन मुहैया हुआ। चूंकि भारत में स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़कर 90 करोड़ से अधिक हो गई है। ये फोन रीइमैंजनिंग कार्य का आधार बनेंगे जहां लोग फोन से नौकरी खोजेंगे और फोन पर ही अपने क्रेडेंशियल और अन्य लाभ हासिल करेंगे।

नीलेकणि ने कहा कि फोन की बढ़ती पैठ के साथ अब डिवाइस की मूल भाषा भी हिंदी और अंग्रेजी के इतर अन्य भारतीय भाषाएं हो जाएंगी जिससे प्रौद्योगिकी तक पहुंच और आसान हो जाएगी। मोबाइल फोन के लिए इंटरफेस भी टाइपिंग से टच और टच से वॉयस और वीडियो तक हो जाएगा।

First Published : April 11, 2025 | 10:20 PM IST