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इंडसइंड बैंक ने अपने पूर्व मुख्य कार्याधिकारी और डिप्टी चीफ से वेतन और बोनस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस मामले की सीधी जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि एक आंतरिक समीक्षा में दुराचरण और गलत रिपोर्टिंग का खुलासा होने के बाद यह फैसला किया गया है।
दुराचरण रोकने के लिए भारतीय बैंकिंग नियमों में 2019 से कर्मचारी अनुबंधों में वेतन और बोनस वापस लेने के प्रावधानों की अनुमति दी गई है। हालांकि इस तरह के प्रयास दुर्लभ रहे हैं। प्रावधान लागू किए जाने के बाद अब तक केवल 2 ज्ञात उदाहरण हैं, जिसमें वेतन व बोनस वापस लिया गया है। प्रावधान के तहत कर्मचारी इस फैसले को कानूनी चुनौती दे सकते हैं। इस साल इंडसइंड बैंक ने डेरिवेटिव ट्रेड पर गलत लेखांकन का खुलासा किया, जिसके कारण उसके खातों को 23 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ और मई में पूर्व सीईओ सुमंत कठपालिया और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना को बाहर कर दिया गया।
भारतीय बाजार नियामक और प्रवर्तन अधिकारी अब इनसाइडर ट्रेडिंग और लेखांकन अनियमितताओं के आरोपों की दोनों अधिकारयों की जांच कर रहे हैं। दो सूत्रों ने नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर यह जानकारी देते हुए कहा कि वे मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं है।
खुराना ने टेक्स्ट मैसेज से मांगी गई जानकारी पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार किया और कहा कि उन्हें इस मसले में कोई जानकारी नहीं है। कठपालिया ने ईमेल और टेक्स्ट मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया। इस सिलसिले में बैंक ने भेजे गए मेल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
एक दूसरे सूत्र ने कहा कि आंतरिक आचार संहिता के आधार पर और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के अनुसार इंडसइंड बैंक का बोर्ड कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने को लेकर कानूनी राय ले रहा है।
(रॉयटर्स)