विमानन उपक्रम होल्डिंग कंपनी इंडियन एरो वेंचर्स आईएवी (आईएवी) विमानन क्षेत्र में 2000 करोड़ रुपये के निवेश की रूपरेखा तैयार कर रही है।
राज्य सभा में संसद सदस्य राजीव चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली आईएवी कंपनी मेंटेनेंस, रिपेयर, ऑवरहॉल (एमआरओ) सुविधा पर ध्यान केंद्रित करेगी।
बीपीएल मोबाइल के मालिक रह चुके चंद्रशेखर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर, मीडिया और विमानन बाजार पर पैनी नजर लगाए हुए हैं।
एयरबस की पैतृक कंपनी ईएडीएस ने इस उपक्रम में लगभग 160 करोड़ रुपये का निवेश कर इसमें दिलचस्पी दिखाई है।
नेशनल एविएशन कंपनी ऑफ इंडिया (एनएसीआईएल) के साथ एक संयुक्त उपक्रम के तहत दिल्ली में आईएवी द्वारा एमआरओ की शुरुआत से एनएसीआईएल का ग्राहक आधार बढ़ने की संभावना है।
एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद हाल ही में एनएसीआईएल का गठन किया गया।
औद्योगिक अनुमानों के अनुसार इंडियन एयरलाइन ऑपरेटरों के स्वामित्व वाले 250 विमानों के बेड़े में लगभग 60 प्रतिशत एयरबस जेट विमानों का संचालन शामिल है।
आईएवी कोष उगाही पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसके लिए वह विभिन्न कंपनी स्तरों पर इक्विटी और कर्ज के जरिए कोष जुटाएगी।
आईएवी की संचालन कंपनी जुपीटर एविएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक रवि नारायणन ने कहा, ”हमारी रणनीति समेकित एयरक्राफ्ट लाइफ साइकिल सपोर्ट कंपनी पर आधारित होगी।
हम बेंगलुरू में देवनहल्ली में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास कलपुर्जा केंद्र और एक प्रमुख कम्पोनेंट ओवरहॉल केंद्र स्थापित करने की भी योजना बना रहे हैं।
ये केंद्र बढ़ती मांग को पूरा करेंगे। हमारी इंजीनियरिंग सर्विसेज सॉफ्टवेयर कंपनी इन कार्यों में सहायता मुहैया कराएगी।”
आईएवी एक एयरक्राफ्ट के लिए लाइफसाइकिल सपोर्ट को कार्यान्वित करेगी जिसमें सुधार, कलपुर्जों की मरम्मत, निर्माण आदि शामिल होगा।
एमआरओ सुविधा के अलावा कंपनी हसन स्थित हवाई अड्डे पर एक एविएशन यूनिवर्सिटी भी खोलेगी जिसमें पायलटों, एटीसी कर्मियों के साथ-साथ एयरक्राफ्ट रखरखाव से संबद्ध विशेष तकनीकविदों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
कंपनी को इस परियोजना के लिए हाल ही में स्वीकृति प्राप्त हुई है। यह परियोजना 960 एकड़ के भूखंड पर फैली होगी।
इस परियोजना में एक एमआरओ कम्पोनेंट भी शामिल होगा जो दिल्ली में इकाई से संबद्ध जरूरतों की पूर्ति करेगा।
आईएवी के एमआरओ को हैदराबाद में तैयार होने वाली जीएमआर-लुफ्थांसा इकाई के अलावा कई अन्य इकाइयों से भी कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी।
नारायणन ने कहा कि एयरबस के साथ रणनीतिक भागीदारी से हम इस क्षेत्र में बढ़त हासिल कर रहे हैं। भारत में विमानों की बढ़ती संख्या के साथ इस क्षेत्र में तीन अग्रणी कंपनियों के लिए प्रमुख स्थान होगा।