मद्रास उच्च न्यायालय के हालिया आदेश के बाद डालमिया भारत समूह को आयकर विभाग की जांच का सामना करना पड़ रहा है। अदालत ने अमेरिकी निजी इक्विटी कंपनी केकेआर ऐंड कंपनी संग जुड़े लेनदेन के मामले में डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड (डीसीबीएल) के खिलाफ आयकर निर्धारण की कार्यवाही को फिर से खोलने का आदेश बरकरार रखा गया है।
कर अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि केकेआर ऐंड कंपनी की निवेश कंपनी केकेआर मॉरीशस सीमेंट इन्वेस्टमेंट लिमिटेड ने साल 2010-11 में डीसीबीएल में 14.99 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए 500 करोड़ रुपये का निवेश किया था। विभाग के अनुसार यह प्रथम दृष्टया कंपनी द्वारा बिना हिसाब वाले धन की राउंड-ट्रिपिंग (कर से बचने के लिए अनुचित ढंग से पैसा भेजना और फिर वापस लेना) की ओर इशारा करता है। मंगलवार को डालमिया भारत समूह को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला। केकेआर ऐंड कंपनी ने टिप्पणी से इनकार कर दिया।
केकेआर ऐंड कंपनी इस मामले में खुद पक्षकर नहीं थी और उस पर अब तक किसी गलत काम का आरोप नहीं लगाया गया है। कानूनी क्षेत्र के एक सूत्र ने कहा कि यह मामला कर अधिकारियों और डालमिया सीमेंट के बीच है तथा केकेआर ऐंड कंपनी किसी भी तरह से अदालती कार्यवाही में पक्षकार नहीं रही है। सूत्र ने कहा कि इस तरह केकेआर का अदालती आदेश के खिलाफ अपील करने का कोई मतलब नहीं है।
आयकर विभाग को तब संदेह हुआ जब डालमिया भारत (डीबीएल) ने जनवरी 2016 में 600 करोड़ रुपये नकद और 618.75 करोड़ रुपये के डीबीएल शेयरों के रूप में 1,218 करोड़ रुपये में इन शेयरों को वापस खरीदा। इससे कथित तौर पर केकेआर ऐंड कंपनी को 18 प्रतिशत का चक्रवृद्धि रिटर्न और 2,138 करोड़ रुपये का कुल निकासी मूल्य मिला। इसमें बाद में ऑफ-मार्केट निकासी का लाभ भी शामिल है। इसके बाद आयकर विभाग ने इन तीनों कंपनियों के सर्च असेसमेंट को फिर से खोलने का प्रस्ताव किया।
उच्च न्यायालय का हालिया फैसला विदेशी कंपनियों से जुड़ी कर से बचने की संभावित योजनाओं के संबंध में नई जानकारी के आधार पर कर विभाग की निर्धारण मामला फिर से खोलने की शक्ति का समर्थन करता है। यह फैसला आयकर विभाग के लिए महत्त्वपूर्ण जीत है, जिसने हाल के वर्षों में धन शोधन और कर वंचन की चिंताओं के बीच सीमा पार से आने वाले निवेश की जांच बढ़ाई है।