भारत और खाड़ी देशों के बीच द्विपक्षीय विमानन अधिकारों के बढ़ाए जाने पर जारी चर्चा के बीच एतिहाद एविएशन ग्रुप के मुख्य कार्य अधिकारी एंटोनोआल्डो नेव्स ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से खास बातचीत में कहा कि द्विपक्षीय अधिकारों में तब ही वृद्धि होनी चाहिए जब पॉइंट-टु-पॉइंट ट्रैफिक पर्याप्त हो। उन्होंने कहा कि आज जिस तरह का ट्रांसफर ट्रैफिक दिखता है, वह बेतुका है, क्योंकि हर विमानन कंपनी की लागत और मूल्य निर्धारण का मॉडल अलग-अलग उपभोक्ता वर्गों पर केंद्रित होता है।
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले एयर इंडिया के मुख्य कार्य अधिकारी और प्रबंध निदेशक कैंपबेल विल्सन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय विमानन अधिकार तब ही बढ़ने चाहिए जब पर्याप्त पॉइंट-टु-पॉइंट मांग हो।
बहस का मूल कारण है कि भारतीय विमानन कंपनियों को इस बात की चिंता है कि अमीरात और एतिहाद जैसी खाड़ी विमानन कंपनियां भारत और पश्चिम एशिया के बीच सीमित पॉइंट-टु-पॉइंट ट्रैफिक ले जाती है। इसके बजाय वे दुबई और अबू धाबी में अपने केंद्र का उपयोग मुख्य तौर पर यात्रियों को यूरोप और उत्तरी अमेरिका ले जाने के लिए करती हैं।
भारतीय विमानन कंपनियां खास तौर पर एयर इंडिया का तर्क है कि इससे यूरोप और उत्तरी अमेरिका के लिए लंबी दूरी की सीधी उड़ानों को लाभप्रद तौर पर परिचालन की उनकी क्षमता कमजोर होती है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि खाड़ी देशों के साथ द्विपक्षीय विमानन अधिकारों का विस्तार तब ही किया जाना चाहिए, जब इसके लिए पर्याप्त मांग हो।
नेव्स ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘पॉइंट-टु-पॉइंट के मुकाबले ट्रांसफर को लेकर बहस सिर्फ बेतुका विमर्श है क्योंकि अंततः हम उस तरह से कीमत तय नहीं करते हैं। हम मांग के अनुरूप कीमतें तय करते हैं।’
उन्होंने कहा कि इंडिगो जैसी भारतीय विमानन कंपनियां की दुनिया में सबसे कम यूनिट लागत है और वे अबू धाबी के लिए सस्ते किराये की पेशकश करने में भी सक्षम हैं, जबकि एतिहाद का लक्षित यात्री समूह अलग है। उन्होंने कहा, ‘दोनों विमानन कंपनियां अपने-अपने ग्राहक वर्ग को सेवा प्रदान करती हैं।’
नेव्स ने कहा कि भारत और अबू धाबी के बीच अतिरिक्त अधिकारों के लिए बातचीत अभी शुरू नहीं हुई है, लेकिन जल्द ही शुरू होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘चर्चा शुरू करने का यह सही समय है।’