देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) ने अपने उत्पादों के दाम घटाने शुरू कर दिए हैं। उसने साबुन तथा डिटर्जेंट के दाम में 3 से 18 फीसदी की कटौती की है।
कंपनी के वितरकों ने बताया कि एचयूएल अपने उत्पाद सस्ते कर रही है। कच्चे माल के दाम में तेजी के बीच पिछले कुछ समय से एफएमसीजी उत्पादों के दाम में लगातार बढ़ोतरी की गई थी। लेकिन जून तिमाही से कच्चे माल के दाम नरम हुए हैं, जिससे अब कटौती की गई है। पिछली पांच तिमाहियों में एचयूएल ने कई उत्पादों के दाम 42 फीसदी तक बढ़ा दिए थे।
एचयूएल ने सर्फ एक्सेल लिक्विड के आधा लीटर पैक का दाम 115 रुपये से घटाकर 112 रुपये (2.6 फीसदी कटौती) कर दिया है। इसी तरह रिन डिटर्जेंट पाउडर का एक किलो का पैक अब 103 रुपये के बजाय 99 रुपये में मिल रहा है। लाइफबॉय साबुन (125 ग्राम के 4 साबुन) के पैक का दाम 140 रुपये से कम कर 132 रुपये
किया गया है। डव साबुन के दाम में 18.52 फीसदी, व्हील ग्रीन बार में 10.71 फीसदी और लक्स साबुन के दाम में 10.9 फीसदी की कटौती की गई है।
दाम में कटौती के बारे में जानकारी के लिए एचयूएल को ईमेल किया गया, लेकिन खबर लिखे जाने तक कंपनी का जवाब नहीं आया।
एचयूएल के एक वितरक ने बताया कि कंपनी ने बिक्री बढ़ाने के लिए बाजार में ज्यादा माल भेजने के कहा है। एक अन्य वितरक ने कहा कि दाम में पूरी कटौती का लाभ ग्राहकों को नहीं मिलेगा। लेकिन कंपनी ने कहा कि दाम में कुछ कटौती वितरकों के लिए की गई है और इसका लाभ अगले 15 दिन में ग्राहकों को मिलने लगेगा।
साबुन के मामले में एचयूएल की प्रतिस्पर्धी कंपनी गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने पिछले महीने चुनिंदा उत्पादों के दाम में कटौती की थी। उसने गोदरेज नंबर 1 साबुन का वजन 41 ग्राम से बढ़ाकर 50 ग्राम कर दिया था। साबुन के 5 नग के पैकेट का दाम भी 140 रुपये से घटाकर 120 रुपये कर दिया गया था।
पिछले 6 महीनों में कच्चे पाम तेल के दाम में 40 फीसदी और पाम फैटी एसिड डिस्टिलेट (पीएफएडी) की कीमतों में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। इससे एफएमसीजी कंपनियों की उत्पादन लागत कम हुई है।
दौलत कैपिटल में वाइस प्रेसिडेंट सचिन बोवडे ने कहा, ‘कच्चे माल की बढ़ती लागत देखते हुए एफएमसीजी कंपनियां पिछले दो साल से अपने उत्पाद महंगे कर रही थीं।
अब पाम तेल के दाम कम हुए हैं और कंपनियां कच्चे माल की घटती लागत का लाभ ग्राहकों को दे रही हैं ताकि आने वाली तिमाहियों में उनकी बिक्री बढ़ सके। कीमतों में बढ़ोतरी के कारण कई उत्पादों की बिक्री भी प्रभावित हुई थी।’