हीरो मोटोकॉर्प कर मामले में आयकर विभाग की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि बहीखातों में किया गया 800 करोड़ रुपये से अधिक के व्यय का दावा कारोबारी उद्देश्य के लिए नहीं था। आयकर विभाग के अनुसार इसे एक खास इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की सेवा के लिए किया गया था, जिसने कथित रूप से यह राशि मुखौटा फर्मों के माध्यम से निकाल ली थी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने गुरुवार को कंपनी का नाम लिए बिना कहा कि गैर-कारोबारी उद्देश्यों के लिए इस तरह के दावे आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के तहत अमान्य व्यय होता है।
यह बयान दोपहिया वाहन विनिर्माता हीरो मोटोकॉर्प, इसके चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पवन मुंजाल तथा अन्य व्यक्तियों के परिसरों पर तीन दिनों की सघन तलाशी के बाद आया है।
सीबीडीटी ने कहा है कि इस तलाशी अभियान के दौरान दोष सिद्ध करने वाले विभिन्न दस्तावेज और डिजिटल सबूत पाए गए हैं और जब्त किए गए हैं, जो यह दर्शाता है कि देखने में कारोबारी उद्देश्यों के लिए किए गए दावों का ये सबूत पूरी तरह से समर्थन नहीं करते हैं।
विभाग ने यह भी पाया कि दिल्ली में 10 एकड़ कृषि भूमि कुछेक कागजी कंपनियों के माध्यम से खरीदी गई थी। इस तरह के लेनदेन में कथित रूप से 60 करोड़ रुपये से भी अधिक की बेहिसाब नकद मद शामिल थी।
बयान में कहा गया है कि इस भूमि सौदे का असली लाभार्थी इस वाहन विनिर्माता समूह का एक प्रमुख व्यक्ति है। बयान में यह भी कहा गया है कि उक्त सौदे में सहायता करने वाले मध्यस्थ ने अपने बयान में यह स्वीकार किया है कि इस बिक्री की राशि का एक बड़े हिस्से का भुगतान नकद किया गया था।
इसके अलावा रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े लोगों के परिसरों से कई आपत्तिजनक दस्तावेज भी मिले हैं। इनमें नकद लेनदेन के रिकॉर्ड शामिल हैं, जिनमें दिल्ली भर में उनकी विभिन्न रियल एस्टेट परियोजनाओं में इकाइयों की बिक्री के बदले नकदी हासिल की जा रही थी।